स्वयं सहायता समूह के महत्व को निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट किया जा सकता है-
स्वयं सहायता समूह कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मदद करते हैं।
सदस्यों को समयानुसार विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं के लिए एक उचित ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है।
स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को छोटी-छोटी आवश्यकताओं हेतु अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर नहीं होना पड़ता तथा साहूकारों एवं महाजनों के शोषण से उन्हें मुक्ति मिलती है।
इन समूहों में विकास के मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है।
इसके अलावा ये समूह ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संगठित करने में मदद करते हैं।