यदि 1 ग्राम वाष्प को 1 ग्राम बर्फ के साथ मिला दिया जाए तो मिश्रण का तापमान होगा:
[1999]
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(c) $0^{\circ} C$ बर्फ से $100^{\circ} C$ पानी तक के प्रक्रम में ऊष्मा $=m L+m c \Delta \theta$ $=1 \times 80+1 \times 1 \times(100-0)=180 cal$.
1 ग्राम वाष्प, 1 ग्राम पानी में बदलेगी तो ऊष्मा = 536 कैलोरी पूरी वाष्प पानी में परिवर्तित नहीं होगी अतः मिश्रण का तापमान $=100^{\circ} C$
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एक पिण्ड $50.0^{\circ} C$ से $49.9^{\circ} C$ तक ठण्डा होने में 5 सेकंड लेता है तो यह $40.0^{\circ} C$ से $39.9^{\circ} C$ तक ठण्डा होने में कितना समय लेगा । बाहर का तापमान $30.0^{\circ} C$ तथा यहाँ न्यूटन का शीतलन सिद्धान्त कार्यरत् है।
कोई कृष्णिका $5760 K$ ताप पर है। इस पिण्ड द्वारा उन विकिरणों की ऊर्जा, तरंगदैर्घ्य $250 nm$ पर $U _1$, तरंगदैर्ध्य $500 nm$ पर $U _2$ तथा तरंगदैर्ध्य $1000 nm$ पर $U _3$ वीन-नियतांक, $b =2.88 \times 10^6 nmk$ है। नीचे दिया कौन सा संबंध सही है?
यदि, किसी ऊष्मीय युग्म के ठंडे जोड़ को $0^{\circ} C$ पर और गरम जोड़ को $T ^{\circ} C$ पर रखा जाये तो इस युग्म के लिये उदासीन $($न्यूट्रल$)$ ताप $\left( T _{ n }\right)$ और प्रतिलोमन (इनवर्शन) ताप $\left( T _{ i }\right)$ का परस्पर सम्बन्ध होगा-
एक सेन्टीग्रेड तथा फैरेनहाइट थर्मामीटर को उबलते पानी में रखा गया । फैरेनहाइट थर्मामीटर में पानी का ताप $140^{\circ}$ तक घटाया गया तो सेन्टीग्रेड स्केल में तापमान है:
यह मानते हुए कि सूर्य $r$ त्रिज्या का गोलाकार बाहरी तल रखता है और तापमान $t^{\circ} C$ पर एक कृष्ण पिंड की तरह प्रकीर्णन करता है, सूर्य केन्द्र से $R$ दूरी पर आपतित किरणों से लम्ब दिशा में किसी एक मात्रक तल द्वारा प्राप्त की गई शक्ति होगी-