(a)किसी जटिल अभिक्रिया के धीमे पद की अणुसंख्यता ही सम्पूर्ण अभिक्रिया की अणुसंख्यता होती है। समझाइए। (b) उच्च कोटि की अभिक्रियाएँ सामान्यतः नहीं होती, क्यों?
तीन अभिक्रियाएँ जिनकी कोटि $1, 2$ तथा $3$ हैं इनके लिए वेग स्थिरांकों का मान समान है तो सान्द्रता का मान $1M, 1M$ से कम तथा $1M$ से अधिक होने पर इन अभिक्रियाओं के चेवेगों का क्रम क्या होगा?
$^{14}C$ रेडियोएक्टिव क्षय की अर्द्धायु $5730$ वर्ष है। एक पुरातत्व कलाकृति की लकड़ी में जीवित वृक्ष की तुलना में $80\% \ ^{14}C$ की मात्रा है। नमूने की आयु का परिकलन कीजिये।
प्लेटिनम की सतह पर अमोनिया के अपघटन से हाइड्रोजन एवं नाइट्रोजन गैसें प्राप्त होती हैं। शून्य कोटि की इस अभिक्रिया का वेग स्थिरांक $1.5 \times 10^{-4} mol \ s ^{-1}$ है तब $N_2$ एवं $H_2$ के बनने का वेग ज्ञात कीजिए।
किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया को 50% पूर्ण होने के लिए 300 K पर 40 मिनट लगते हैं और 320 K पर 20 मिनट लगते हैं। अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा परिकलित कीजिए।
एक अभिक्रिया A के प्रति प्रथम एवं B के प्रति द्वितीय कोटि की है। (1) इस अभिक्रिया के लिए अवकल वेग समीकरण लिखिए। (2) B की सांद्रता 3 गुनी करने पर वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा। (3) A व B दोनों की सांद्रता दुगुनी करने से वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
ताप में 350 K से 400 K तक वृद्धि करने पर किसी अभिक्रिया का वेग चार गुना हो जाता है। इस अभिक्रिया के लिए सक्रियण ऊर्जा की गणना यह मान कर कीजिये कि इसका मान ताप के साथ परिवर्तित नहीं होता है।
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