भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्ष शासन हमारे संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल चुना और इसी आधार पर संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-
कोई धर्म राजधर्म नहीं भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता।
कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है।
धार्मिक भेदभाव का निषेध-संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है।
धार्मिक मामलों में शासन के हस्तक्षेप की इजाजत भारत का संविधान धार्मिक समुदायों में समानता सुनिश्चित करने के लिए शासन को धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार देता है। जैसे यह छुआछूत की इजाजत नहीं देता।
इससे स्पष्ट होता है कि धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान की बुनियाद है।