जातिवाद से आशय जातिवाद इस मान्यता पर आधारित है कि जाति ही सामाजिक समुदाय के गठन का एकमात्र आधार है। एक जाति के लोगों के हित एक जैसे होते हैं तथा दूसरी जाति के लोगों से उनके हितों का कोई मेल नहीं होता।
राजनीति में जाति के विभिन्न रूप
अथवा
भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका
भारतीय राजनीति में जाति के अनेक रूप दिखाई देते हैं। यथा-
उम्मीदवारों का चुनाव जातियों की संख्या के हिसाब से-राजनैतिक दल चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करते समय चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की जातियों का हिसाब ध्यान में रखते हैं ताकि उन्हें चुनाव जीतने के लिए जरूरी वोट मिल जाएँ।
सरकार के गठन में जतियों को प्रतिनिधित्व देना सरकार का गठन करते समय भी राजनीतिक दल इस बात का ध्यान रखते हैं कि उसमें विभिन्न जातियों के लोगों को उचित स्थान मिले।
जातिगत भावनाओं को भड़काकर वोट पाने की कोशिश राजनीतिक दल और उम्मीदवार समर्थन हासिल करने के लिए जातिगत भावनाओं को उकसाते हैं।
जातिगत गोलबंदी और निम्न जातियों में राजनैतिक चेतना का उदय सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार और एक व्यक्ति एक वोट की व्यवस्था से उन जातियों के लोगों में नई चेतना पैदा हुई है जिन्हें अभी तक छोटा और नीच माना जाता था।