नारीवादी आंदोलन-जब महिलाओं ने महिलाओं के राजनीतिक और वैधानिक दर्जे को ऊँचा उठाने और उनके लिए शिक्षा तथा रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए आंदोलन किए तथा व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में भी औरतों के लिए बराबरी की मांग उठाई तो इन आंदोलनों को ही नारीवादी आंदोलन कहा गया।
नारीवादी समूहों का निष्कर्ष भारत में पितृसत्तात्मक समाज होने के कारण औरतों की भलाई या उनके साथ समान व्यवहार वाले मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। इसी के चलते नारीवादी समूह और महिला आंदोलन इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि जब तक औरतों का सत्ता पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक इस समस्या का निपटारा नहीं हो सकता। इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ानी आवश्यक है। इसी के चलते महिला संगठनों और कार्यकर्ताओं की माँग है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएँ।