भारत में 'राजनीति में जाति' है अर्थात् भारतीय राजनीति में जातिवाद का अत्यधिक प्रभाव है। यथा-
उम्मीदवारों का चुनाव जातियों की संख्या से हिसाब से—भारत में जब राजनीतिक दल चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करते हैं तो चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की जातियों का हिसाब ध्यान में रखते हैं ताकि उन्हें चुनाव जीतने के लिए उस जाति के वोट पड़ जाएँ।
सरकार के गठन में जातियों को प्रतिनिधित्व देना-जब सरकार का गठन किया जाता है तो राजनीतिक दल इस बात का ध्यान रखते हैं कि उसमें विभिन्न जातियों के लोगों को उचित स्थान मिले।
भारत में 'जाति के अन्दर राजनीति' है-भारत में जाति के अन्दर भी राजनीति पाई जाती है। यथा-
चूँकि एक जाति अपने दम पर सत्ता पर कब्जा नहीं कर सकती इसलिए वह ज्यादा राजनैतिक ताकत पाने के लिए दूसरी जातियों के साथ समझौता करती है।
एक ही जाति के अमीर और गरीब लोगों के बीच में भी मतभेद रहता है तथा वे अलग-अलग दलों का समर्थन करते हैं।
एक जाति के लोग अलग-अलग व्यक्तियों के नेतृत्व में अलग-अलग दलों में विभाजित हो जाते हैं।