नारीवादी आंदोलन महिलाओं के राजनीतिक और वैधानिक दर्जे को ऊँचा उठाने और उनके लिए शिक्षा तथा रोजगार के अवसर बढ़ाने की माँग करने वाले महिला आंदोलनों ने जब औरतों के व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में भी बराबरी की माँग उठाई तो इन आंदोलनों को नारीवादी आंदोलन कहा गया।
भारत में महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व भारत की विधायिका में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। जैसे-
लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या कभी कुल सदस्यों का दस फीसदी तक भी नहीं पहुँची है।
राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 5 फीसदी से भी कम है।
भारत महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में अफ्रीका और लातिन अमरीका के कई विकासशील देशों से भी पीछे है।
मंत्रिमण्डलों में पुरुषों का ही वर्चस्व बना हुआ है। भारत में विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि इन संस्थाओं में महिलाओं के लिए कानूनी रूप से एक निश्चित संख्या, जैसे-एक-तिहाई, तय कर दी जाए।