भारत में पंचायती राज व्यवस्था भारत में गाँवों के स्तर पर विद्यमान स्थानीय शासन व्यवस्था को पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। पंचायती राज व्यवस्था त्रि-स्तरीय है। यथा-
(1) ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत-प्रत्येक गाँव या गाँव समूह में एक ग्राम पंचायत होती है जिसमें कई सदस्य और एक अध्यक्ष होता है। सदस्य वार्डों से चुने जाते हैं और उन्हें पंच कहा जाता है। अध्यक्ष को सरपंच कहा जाता है। सरपंच का चुनाव गाँव में रहने वाले सभी वयस्क लोग मतदान के जरिये करते हैं।
यह पूरे पंचायत क्षेत्र के लिए फैसला लेने वाली संस्था है। पंचायतों का काम ग्राम सभा की देखरेख में चलता है। गाँव के सभी मतदाता इसके सदस्य होते हैं।
(2) ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति-कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति का गठन होता है। इसके सदस्यों का चुनाव इलाके के मतदाताओं द्वारा किया जाता है।
(3) जिला परिषद्-किसी जिले की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद् का प्रमुख जिला प्रमुख कहलाता है जो इस परिषद् का राजनीतिक प्रधान होता है।
स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा दिये जाने से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं, महिलाओं के आरक्षण से लोकतंत्र में उनकी भागीदारी बढ़ी है।