1992 के संविधान संशोधन द्वारा स्थानीय शासन को निम्न प्रकार शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया है-
अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
अब निर्वाचित स्थानीय निकायों के सदस्य तथा पदाधिकारियों के पदों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं।
अब कम से कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
हर राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतंत्र संस्था का गठन किया गया है।
अब राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन स्थानीय स्वशासी निकायों को देना पड़ता है।
इससे स्पष्ट होता है कि 1992 के संविधान संशोधन के द्वारा भारत में तीसरे स्तर की शासन व्यवस्था को शक्तिशाली तथा प्रभावी बनाकर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को मजबूत किया गया है।