भारतीय संघवाद का क्रियान्वयन भारत सरकार ने भारतीय संघवाद को सुचारु रूप से चलाने के लिए कई नीतियों को अपनाया है। यथा-
(1) भाषायी राज्यों का गठन- स्वतंत्रता के बाद 1956 में सरकार ने राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू कर कई राज्यों का भाषायी आधार पर गठन किया। इसके बाद कुछ अन्य राज्यों का गठन संस्कृति, भूगोल अथवा जातीयताओं की विभिन्नताओं को रेखांकित करने और उन्हें आदर देने के लिए भी किया गया। जैसे-नागालैंड, उत्तराखंड और झारखण्ड आदि। भाषावार राज्य बनाने से देश ज्यादा एकीकृत और मजबूत हुआ।
(2) भाषा नीति- भारत एक बहुभाषायी देश है। भारतीय संविधान में 22 भाषाएँ दी गई हैं । हरेक राज्य अपनी भाषा तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र है। हिंदी को राजभाषा माना गया है, लेकिन गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों की माँग पर अंग्रेजी का भी प्रयोग जारी रखा गया है।
(3) केन्द्र-राज्य सम्बन्ध- संघवाद के लिए यह आवश्यक है कि केन्द्र और राज्यों के रिश्ते अच्छे रहें। 1990 के बाद केन्द्र में बनी गठबंधन सरकारों से सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी है।
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि भारत एक संघीय देश है जिसने हमेशा संघवाद के सुचारु रूप से कार्य करने का प्रयास किया है।