भारतीय और ब्रिटिश निर्माताओं ने नये उपभोक्ता पैदा करने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाया-
1. विज्ञापन बाजार के फैलाव व नये उपभोक्ताओं को अपने माल से जोड़ने के लिए उत्पादक समाचार पत्रपत्रिकाओं, होर्डिंग्स आदि के माध्यम से विज्ञापन देते थे। इन विज्ञापनों ने उत्पादों को अतिआवश्यक और वांछनीय बना दिया था।
2. लेबल लगाना अपने उत्पादों के बाजार को फैलाने के लिए उत्पादक लेबल लगाने का प्रयोग करते थे। जैसे 'मेड इन मैनचेस्टर' का लेबल वस्तुओं की गुणवत्ता का प्रतीक होता था। लेबलों पर अक्षरों के साथ-साथ भारतीय देवी-देवताओं की तस्वीर भी होती थी, जिससे भारतीयों को उत्पाद में अपनेपन का एहसास होता था।
3. कैलेण्डर-निर्माता अपने उत्पादों को बेचने के लिए कैलेण्डर अपनाने लगे थे, इससे उत्पाद निरक्षरों को भी प्रभावित करते थे। इन कैलेण्डरों में भी नये उत्पादों को बेचने के लिए देवी-देवताओं के चित्र भी प्रस्तुत किए जाते थे।
4. महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के चित्र-देवी-देवताओं के चित्रों के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों, सम्राटों, नवाबों के चित्र विज्ञापनों में प्रयोग किए जाते थे, जो गुणवत्ता के प्रमाण होते थे।