औद्योगिक क्रान्ति का श्रीगणेश इंग्लैण्ड में हुआ। इसके परिणामस्वरूप मानवीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए, किन्तु साथ ही इससे अनेक समस्याएँ भी उठ खड़ी हुईं। इसलिए इसे मिश्रित वरदान के रूप में देखा जा सकता है।
लाभ-
(1) नवीन स्थानों की खोज-उत्पादन बढ़ने से उसके लिए नये बाजारों की आवश्यकता पड़ी जिसके लिए नई दुनिया की खोज की गई।
(2) पूँजी निर्माण तथा बैंकों का प्रचलन-व्यापारियों ने उद्योगों की स्थापना के लिए पूँजी जमा करना शुरू की तथा लाभ को पुनः व्यापार में लगाया। इससे बैंकिंग व्यवस्था का उदय हुआ।
(3) भाप एवं बिजली का ऊर्जा के रूप में आविष्कार-इसमें भाप की ऊर्जा का आविष्कार हुआ, जिससे समुद्री जहाज तथा रेलें चली तथा यातायात में क्रान्ति हुई। बिजली के आविष्कार ने तार के द्वारा ऊर्जा को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना सम्भव बनाया।
(4) वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति औद्योगिक क्रान्ति से वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ तथा वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति हुई।
(5) मानकीकरण एवं विशिष्टीकरण-कारखाना प्रणाली के फलस्वरूप माप, कीमत व द्रव्य के सामान्य मानक निर्धारित हुए। इसी तरह भर्ती के लिए मानक परीक्षण, मानक वेतन निर्धारित हुए तथा उत्पादन के क्षेत्र में विशिष्टीकरण के द्वारा कार्यक्षमता और उत्पादन में वृद्धि हुई।
(6) जनतंत्रीकरण-औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप व्यक्तिवाद तथा नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उदय के साथ-साथ प्रजातांत्रिक विचारों का भी उदय हुआ।
औद्योगिक क्रान्ति के दोष- औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप गन्दी बस्ती का निर्माण, आवास की समस्या, शराबखोरी, प्रशासनिक भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद पनपा।
इस प्रकार यह एक मिश्रित वरदान सिद्ध हुई।