द्विनिषेचन/दोहरा निषेचन (Double fertilization)
युग्मकों के स्वतंत्र होने पर एक नर युग्मक अण्ड से संयोजित होकर द्विगुणित युग्मनज (Zygote) बनाता है जो भ्रूण (Embryo) का निर्माण करता है। यह प्रथम निषेचन है तथा इसे संलयन (syngamy) या सत्य निषेचन (true fertilization) कहते हैं। दूसरा नर युग्मक, द्वितीयक केन्द्रक (2n) से संलयित होकर त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष (केन्द्रक) (primary endosperm nucleas) केन्द्रक बनाता है जिससे भ्रूणपोष बनता है, यह द्वितीय निषेचन है। इस द्वितीय निषेचन में तीन अगुणित केन्द्रकों का संलयन होता है, इस कारण इसे त्रिसंयोजन/त्रिसंलयन (triple fusion) कहते है तथा दो निषेचन (प्रथम व द्वितीय) की प्रक्रिया को द्विनिषेचन (double fertilization) कहते है। युग्मक संलयन (syngamy) की खोज स्ट्रासबर्गर (Strasburger, 1884) ने तथा द्वि-निषेचन की खोज एस.जी. नावश्चिन (S.G. Nauaschin 1898) ने लिलियम व फ्रिटिलेरिया (Lilium & Fritillaria) में की थी।
विभिन्न पौधों में परागण एवं निषेचन के बीच 2-25 घण्टे का अंतराल होता है। आमतौर पर त्रिक संलयन अण्डकोशिका एवं नर युग्मक के संयोजन से पहले होता हैं।