एक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है-
विनिमय में मुद्रा की भूमिका-मुद्रा विनिमय माध्यम के रूप में अपनाई जाती है। इसलिए हम अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए मुद्रा के बदले वस्तुओं तथा सेवाओं को आसानी से क्रय-विक्रय कर सकते हैं।
व्यापार में मुद्रा की भूमिका-मुद्रा के द्वारा व्यापारिक क्रियाएँ सरलतापूर्वक पूरी की जाती हैं, क्योंकि मुद्रा की सहायता से एक स्थान से वस्तुओं का क्रय करके इन्हें दूसरे स्थान पर विक्रय किया जा सकता है।
बजट निर्माण में मुद्रा की भूमिका सरकारी व्यय तथा प्राप्तियों का माप मुद्रा में किया जाता है, जिसके द्वारा करों की दर, ऋण पर ब्याज संबंधित आर्थिक नीतियाँ सरलतापूर्वक बनाई जाती हैं। बजट को भी मुद्रा में ही प्रदर्शित किया जाता है।
राष्ट्रीय आय के मापन में मुद्रा की भूमिका देश की राष्ट्रीय आय की गणना मुद्रा में की जाती है जो कि देश के निवासियों का जीवन स्तर प्रदर्शित करती है। मुद्रा के बिना राष्ट्रीय आय की गणना कठिन है एवं जीवन स्तर भी प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
उत्पादन में मुद्रा की भूमिका उत्पादन प्रक्रिया में एक उद्यमी उत्पादन के विभिन्न साधनों को उनकी सेवाओं के बदले मुद्रा में आसानी से भुगतान करता है जैसे भूमि पर लगान, मजदूरों को मजदूरी, पूँजी पर ब्याज तथा उद्यम पर लाभ।