ऋण ऋण अथवा उधार से हमारा तात्पर्य एक सहमति से है जहाँ ऋणदाता कर्जदार को धन, वस्तुएँ या सेवाएँ मुहैया कराता है और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता है।
भारत में ऋण के स्रोत-भारत में ऋण प्रदान करने वाले स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जाता है-
(1) औपचारिक स्रोत-भारत में औपचारिक स्रोतों में व्यापारिक बैंक, सहकारी समितियों, ग्रामीण बैंक आदि को सम्मिलित किया जाता है। इन स्रोतों द्वारा कम ब्याज दर पर लम्बे समय तक ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। भारत में औपचारिक स्रोतों पर भारतीय रिजर्व बैंक का नियन्त्रण होता है। औपचारिक स्रोतों से लोगों को साहूकार एवं महाजन के शोषण से बचाया जा सकता है। वर्ष 2012 में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 56% साख औपचारिक स्रोतों द्वारा उपलब्ध करवाई गई।
(2) अनौपचारिक स्रोत-भारत में बड़ी मात्रा में साख अनौपचारिक स्रोतों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। अनौपचारिक स्रोतों में साहूकार, महाजन, बड़े किसानों, व्यापारियों, रिश्तेदारों, मित्रों आदि को शामिल किया जाता है। सामान्यतः अनौपचारिक स्रोतों द्वारा लोगों को ऊँची ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है । अनौपचारिक स्रोतों द्वारा कर्जदारों का कई प्रकार से शोषण किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश छोटे कृषक एवं मजदूर आज भी साख हेतु अनौपचारिक स्रोतों पर ही निर्भर हैं।