बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते हैं और लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। बैंक कम ब्याज दर पर लम्बे समय के लिए ऋण देते हैं। बैंक केवल लाभ अर्जित करने वाले व्यवसायियों और व्यापारियों को ही ऋण मुहैया नहीं कराते, बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्जदारों को भी ऋण देते हैं।
बैंक ऋण उत्पादन में सकारात्मक भूमिका अदा करते हैं क्योंकि ऋण के जरिये लोगों की आय बढ़ सकती है, वे ऋण लेकर फसल उगा सकते हैं, कोई कारोबार कर सकते हैं, छोटे उद्योग आदि लगा सकते हैं। वे नया उद्योग लगा सकते हैं या वस्तुओं का व्यापार कर सकते हैं। अतः स्पष्ट है कि बैंक सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल उत्पादक कार्यों के लिए कर्ज देकर उत्पादन में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।
उदाहरण के लिए अरुण के पास 7 एकड़ जमीन है। उसने उसमें आलू की खेती करने के लिए 8.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर बैंक से ऋण लिया है जिसे तीन वर्षों में कभी भी लौटाया जा सकता है। अरुण ने फसल तैयार होने पर अपनी फसल का कुछ हिस्सा बेचकर इस ऋण की अदायगी कर दी तथा बाकी आलू की फसल को शीत भण्डार में रखकर इसके बदले नया ऋण ले लिया। इससे वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ अगली फसल की तैयारी कर रहा है। इससे उसकी आय बढ़ रही है।