साख की दो स्थितियाँ साख की दो विभिन्न स्थितियाँ हैं-
सकारात्मक साख की स्थिति
नकारात्मक साख की स्थिति।
(1) सकारात्मक साख की स्थिति सकारात्मक साख की स्थिति वह है जब ऋण लेने से व्यक्ति की आय बढ़ती है। उदाहरण के लिए सलीम उत्पादन के लिए कार्यशील पूँजी की जरूरत को ऋण के द्वारा पूरा करता है। ऋण उसे उत्पादन के कार्यशील खर्चों तथा उत्पादन को समय पर पूरा करने में मदद करता है और वह अपनी कमाई को बढ़ा पाता है। इस प्रकार ऋण या साख एक सकारात्मक भूमिका निभाता है।
(2) नकारात्मक साख की स्थिति-जब ऋण कर्जदार को ऐसी परिस्थिति में धकेल देता है, जहाँ से बाहर निकलना काफी कष्टदायक होता है। इसे आम भाषा में कर्जजाल कहा जाता है। इसमें ऋणी ऋण के भुगतान में अपनी स्वयं की सम्पत्ति भी खो देता है। इसे साख की नकारात्मक स्थिति कहा जाता है।
बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्ते-
बैंक से कर्ज लेने के लिए ऋणाधार और विशेष कागजांतों की जरूरत पड़ती है।
कर्ज लेने से पहले व्यक्ति को बैंक को अपनी आय के प्रामाणिक स्रोत दिखाने पड़ते हैं।
इसके अतिरिक्त उसे ऋणाधार देना पड़ता है।
जैसे-गृह ऋण के लिए मेघा ने बैंक को अपने वेतन तथा नौकरी सम्बन्धी रिकॉर्ड प्रस्तुत किए और बैंक ने नये घर के सभी कागजात ऋणाधार के रूप में रखकर ऋण दिया।