(b) किसी गैस में ध्वनि का वेग गैस के घनत्व तथा प्रत्यास्थता पर निर्भर करता है। अतः तीव्रता $\frac{2^2}{4^2}=\frac{1}{4}$ th
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$100 Hz$ आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न करता हुआ एक ध्वनि स्त्रोत $S$ तथा एक प्रेक्षक $O$, एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। यह ध्वनि स्त्रोत, $19.4 \ ms ^{-1}$ की चाल से चल रहा है। उसके चलने की दिशा, स्त्रोत तथा प्रेक्षक की रिथितियों को मिलाने वाली सरलरेखा से $60^{\circ}$ का कोण बनाती है $($आरेख देखिये$)$। यदि, प्रेक्षक अपनी रिथति पर ही रूका रहता है तो, प्रेक्षक द्वारा सुनी गई ध्वनि की आभासी आवृत्ति होगी (हवा में ध्वनि का वेग $\left.330 \ ms ^{-1}\right)$ :
एक आगामी तरंग $y =60 \cos (180 t -6 x )$ से प्रदर्शित होती है। जहां $y$ माइक्रॉन $t$ सेकंड व $x$ मीटर में है। अधिकतम कण वेग तथा तरंग वेग का अनुपात होगा$-$
एक तारे में से $5000 \mathring A $ की तरंगे आती है जो पृथ्वी पर $1.50 \times 10^6$ मी/सेकंड से पहुंचती है। पृथ्वी पर पहुंचते हुए इसकी तरंग दैर्ध्य में क्या अंतर होगा?
दो कम्पित स्वरित्र प्रगामी तरंगें उत्पन्न करते हैं जो क्रमशः हैं
$y _1=4 \sin 500 \pi t$ और $y _2=2 \sin 506 \pi t$.
प्रति मिनट उत्पन्न विस्पंदों की संख्या है:
एक स्थायी तरंग $y = a \sin (100 t ) \cos (0.01 x )$ से प्रदर्शित की जाती है। जहां $y$ तथा $A$ मिमी में, $t$ सेकंड में तथा $x$ में है तो तरंग का वेग होगा-
एक दूसरे के निकट स्थित ध्वनि के दो स्त्रोंतों निम्न प्रकार निरूपित प्रगामी तरंगें उत्सर्जित कर रहे है : $y_1=4 \sin 600 \pi t$ तथा $y_2=5 \sin 608 \pi t$. इन दोनों स्त्रोतों के निकट स्थित एक श्रोता को सुनाई देगा :