बहुत सारे राष्ट्रवादियों को लगता था कि अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष अहिंसा के जरिए पूरा नहीं हो सकता। 1928 में दिल्ली स्थित फिरोजशाह कोटला मैदान में हुई बैठक में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एच.एस.आर.ए.) की स्थापना की गई। इसके नेताओं में भगत सिंह, जतिन दास और अजॉय घोष शामिल थे।
देश के विभिन्न भागों में कार्रवाइयाँ करते हुए इसके नेताओं ने ब्रिटिश सत्ता के कई प्रतीकों को निशाना बनाया। 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंका। उसी साल उस ट्रेन को उड़ाने का प्रयास किया गया जिसमें लॉर्ड इरविन यात्रा कर रहे थे। इस प्रकार विभिन्न क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से इन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अनेक नेताओं पर मुकदमा चलाकर उन्हें फांसी दे दी गई।