खिलाफत आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हैं? राष्ट्रीय आन्दोलन में इसका क्या महत्त्व था?
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तुर्की के सुल्तान को इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता अर्थात् खलीफा माना जाता था। मुसलमानों को आशंका थी कि ब्रिटिश सरकार तुर्की के सुल्तान पर एक कठोर शान्ति सन्धि थोपना चाहती है। ब्रिटिश सरकार द्वारा उसे अपमानित किये जाने से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त था। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खिलाफत नामक आंदोलन शुरू कर दिया। 1919 में मुम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया। गांधीजी ने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता उत्पन्न करने के लिए खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।
महत्त्व खिलाफत आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिशीलता प्रदान की। इसने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता उत्पन्न की। अतः असहयोग आन्दोलन में मुसलमानों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।
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