सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भारतीय महिलाओं ने बड़े पैमाने पर भाग लिया। महिलाएँ गाँधीजी के विचार सुनने के लिए अपने घरों से बाहर आ जाती थीं। उन्होंने जुलूसों में भाग लिया, नमक बनाकर नमक-कानून तोड़ा। उन्होंने विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों पर धरना दिया। उन्होंने सरकार की दमनात्मक नीति का साहसपूर्वक मुकाबला किया और अनेक महिलाओं को जेलों में बन्द कर दिया गया। शहरी क्षेत्रों में अधिकतर ऊँची जातियों की महिलाएँ सक्रिय थीं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पन्न किसान परिवारों की महिलाएँ आन्दोलन में भाग ले रही थीं। गाँधीजी के आह्वान के बाद महिलाओं ने राष्ट्र की सेवा करना अपना पवित्र कर्त्तव्य समझा।