${(1, 1), (2, 2), (3, 3), (1, 2), (2, 3), (1, 3)}, (1, 2)$ तथा $(2, 3)$ अवयवों वाला वह सबसे छोटा संबंध $R_1$ है, जो स्वतुल्य तथा संक्रामक है किंतु सममित नहीं है। अब यदि $R_1$ में युग्म $(2, 1)$ बढ़ा दें, तो प्राप्त संबंध $R_2$ अब भी स्वतुल्य तथा संक्रामक है परंतु सममित नहीं है। इसी प्रकार, हम $R_1$ में $(3, 2)$ बढ़ा कर $R_3$ प्राप्त कर सकते हैं, जिनमें अभीष्ट गुणधर्म हैं। तथापि हम $R_1$ में किन्हीं दो युग्मों $(2, 1), (3, 2)$ या एक युग्म $(3, 1)$ को नहीं बढ़ा सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर हम, संक्रामकता बनाए रखने के लिए, शेष युग्म को लेने के लिए बाध्य हो जाएँगे और इस प्रक्रिया द्वारा प्राप्त संबंध सममित भी हो जाएगा, जो अभीष्ट नहीं है। अतः अभीष्ट संबंधों की कुल संख्या तीन है।