प्रेरण गुणांक को परिभाषित कीजिये। अन्योन्य प्रेरण की घटना को प्रयोग द्वारा समझाइये। दो परिनालिकाओं के अन्योन्य प्रेरण गुणांक की व्यंजक ज्ञात कीजिये और सिद्ध कीजिये $M=\sqrt{L_1 L_2}$.
(i) लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त का निष्कर्ष है, इसको कैसे दर्शाएँगे? उचित उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। (ii) किसी चालक के आवेश वाहकों पर कार्यरत लॉरेन्ट्ज बल के व्यंजक का उपयोग उस प्रेरित विद्युत्-वाहक बल (emf), जो किसी चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् । लम्बाई के चालक को वेग $v$ से गति करने पर चालक में उत्पन्न होता है, के लिए व्यंजक प्राप्त करने में कीजिए।
दो लम्बी समाक्ष परिनालिकाओं, जिनकी लम्बाई समान $l,$ फेरों की संख्या $N _1$और $N _2$ तथा त्रिज्या $r_1$ और $r_2 (\left(>r_1\right)$ हैं, के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए।
विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के लेंज नियम का कथन लिखिए। पूर्व से पश्चिम दिशा में स्थित कोई 2 मी. लम्बा सीधा क्षैतिज चालक तार $0.3 \times 10^{-4}$टेसला के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक के लम्बवत 5 मी/से की चाल से गिर रहा है। तार के सिरों के मध्य प्रेरित विद्युत वाहक बल के तात्क्षणिक मान की गणना कीजिए।
ट्रान्सफॉर्मर के प्राथमिक तथा द्वितीय कुण्डली में लपेटों की संख्या क्रमशः 1000 तथा 3000 है। यदि 80 वोल्ट के a-c-प्राथमिक कुण्डली में आरोपित किया जाता है तो द्वितीयक कुण्डली के प्रति फेरों में विभवांतर होगा -
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा 1 = 5 sin $\left(100 t-\frac{\pi}{2}\right)$ ऐम्पियर तथा प्रत्यावर्ती विभवान्तर V = 200 sin (100 t) वोल्ट है। परिपथ में व्यय शक्ति है-
एक ट्रांसफार्मर 220 वोल्ट प्रत्यावर्ती सप्लाई को बढ़ाकर 2200 वोल्ट करता है। यदि ट्रांसफार्मर के द्वितीयक कुण्डली में 2000 चक्कर हों, तो प्राथमिक कुण्डली में चक्कर की संख्या होगी-
आरेख में दो आदर्श प्रेरकों,जिनके प्रेरकत्व $L_1$ और $L_2$ हैं, के प्रेरकीय प्रतिघात $X_L$ का कोणीय आवृत्ति $\omega$ के साथ विचरण दर्शाया गया है। $\frac{ L _1}{L_2}$ . का $L_2$ मान है$-$
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में विभवान्तर V = 20 $\sin \omega t$ वोल्ट तथा प्रवाहित धारा $I=5 \cos \omega t$ ऐम्पियर है, तो शक्ति क्षय का मान वाट में होगा-
एक विघुत हीटर को क्रमशः दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा से गर्म करते हैं। दोनों धाराओं के लिए हीटर के सिरों पर लगाये गये विभवान्तर समान हैं। प्रति सेकण्ड उत्पन्न ऊष्मा अधिक होगी-
एक श्रेणी L-R परिपथ में आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता का अधिकतम मान 5V है। यदि प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न अधिकतम वोल्टता 3V है तो प्रेरकत्व के सिरों पर उत्पन्न वोल्टता का अधिकतम मान होगा-
एक श्रेणी L-C-R परिपथ में प्रतिरोध, प्रेरकत्व तथा धारिता तीनों पर विभवान्तर का मान 100V है। यदि प्रतिरोध को लघुपथित कर दिया जाये तो परिपथ में धारा का मान होगा-
एक विद्युत बल्ब 12V dc पर कार्य करने के लिए निर्मित किया गया है। बल्ब को एक ac स्रोत के साथ लगाने पर यह सामान्य चमक देता है। ac स्रोत की शिखर वोल्टता क्या होगी-
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