मशीन उद्योगों के युग से पहले अन्तर्राष्ट्रीय कपड़ा बाजार में भारतीय वस्त्र उत्पादों की क्या स्थिति थी?
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मशीन उद्योगों के युग से पहले भारतीय वस्त्र उत्पादों की स्थिति-मशीन उद्योगों के युग से पहले भारत के वस्त्र उत्पादों की स्थिति का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
(1) अन्तर्राष्ट्रीय कपड़ा बाजार में भारतीय वस्त्र उत्पादों का दबदबा-मशीन उद्योगों के युग से पहले अन्तर्राष्ट्रीय कपड़ा बाजार में भारत के रेशमी एवं सूती कपड़ों का ही दबदबा था क्योंकि भारत में पैदा होने वाला कपास बारीक किस्म का था।
(2) भारतीय कपड़े का निर्यात-आर्मीनियन तथा फारसी व्यापारी पंजाब से अफगानिस्तान, पूर्वी फारस और मध्य एशिया के मार्ग से यहाँ का सामान ले जाते थे। यहाँ का बना महीन कपड़ा ऊँटों की पीठ पर लाद कर पश्चिमोत्तर सीमा से पहाड़ी दरों और रेगिस्तानों के पार ले जाया जाता था। प्रमुख पूर्व औपनिवेशिक बन्दरगाहों सूरत तथा हुगली से समुद्री व्यापार होता था जो काफी विकसित था।
(3) भारतीय व्यापारियों तथा बैंकरों की भूमिका निर्यात व्यापार के इस जाल में अनेक भारतीय व्यापारी तथा बैंकर सक्रिय थे। वे उत्पादन में पैसा लगाते थे, सामान को लेकर जाते थे तथा उसे निर्यातकों को पहुँचाते थे। माल भेजने वाले आपूर्ति सौदागरों के द्वारा बन्दरगाह, नगर, देश के भीतरी प्रदेशों से जुड़े हुए थे। ये सौदागर बुनकरों को पेशगी देते थे, उनसे तैयार कपड़ा खरीदते थे तथा उसे बन्दरगाहों तक पहुँचाते थे। बन्दरगाहों पर जहाजों के मालिक और निर्यात-व्यापारियों के दलाल कीमत पर मोल-भाव करते थे तथा आपूर्ति सौदागरों से माल खरीद लेते थे।
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