(अ) 19वीं सदी के मध्य तक भारतीय परिवारों ने शिक्षा को बढ़ावा नहीं दिया। रूढ़िवादी परिवारों की शंकाएँ ये थीं-
परम्परागत हिन्दू मानते थे कि पढ़ी-लिखी कन्यायें विधवा हो जाती हैं।
दकियानूसी मुसलमानों को लगता था कि पढ़ने से औरतें बिगड़ जायेंगी।
(ब) लेकिन उदारवादी परिवारों ने नारी शिक्षा को बढ़ावा दिया। ये परिवार अपने यहाँ औरतों को घर पर पढ़ाने लगे और 19वीं सदी के मध्य में जब स्कूल बने तो उन्हें स्कूल भेजने लगे। कई पत्रिकाओं ने लेखिकाओं को जगह दी और उन्होंने नारी शिक्षा के प्रसार पर बल दिया।