अनेक भारतीय उपन्यासकारों ने अपने उपन्यासों का आधार पूर्व और पश्चिम की संस्कृति को बनाया। जैसे 'इंदुलेखा' उपन्यास की नायिका संस्कृत एवं अंग्रेजी की विद्वान है।
इस उपन्यास का नायक नायर वर्ग का अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त उच्च कोटि का संस्कृत विद्वान है जो पश्चिमी पोशाक के साथ-साथ नायर रीति-रिवाजों का पालन करता है।
इसी प्रकार उपन्यासों की नायिकाओं ने भी पश्चिमी मूल्यों के साथ अपनी पारम्परिक जीवनशैली को अपनाकर दोनों में तालमेल स्थापित किया है।