अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक प्रेस धातु से बनने लगे थे।
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक न्यूयार्क के रिचर्ड एम. हो ने शक्ति-चालित बेलनाकार प्रेस का आविष्कार किया जिससे प्रति घण्टे 8000 प्रतियाँ छप सकती थीं।
उन्नीसवीं सदी के अन्त तक आफसेट प्रेस का प्रचलन हो गया था, जिससे एक साथ छह रंग की छपाई की जा सकती थी।
इसके बाद बिजली चालित प्रेस का भी आविष्कार हुआ। इसकी सहायता से छपाई का काम बड़ी तेजी से होने लगा।
इसके अतिरिक्त कागज डालने की विधि में सुधार हुआ, प्लेट की गुणवत्ता अच्छी हुई तथा स्वचालित पेपर-रील और रंगों के लिए फोटो-विद्युतीय नियंत्रण भी काम में आने लगे।