(1) अंग्रेजों ने यह जान लिया था कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में यूरोप की जरूरतों के अनुसार फसलें पैदा की जा सकती हैं।
(2) अठारहवीं सदी के आखिर तक कम्पनी ने अफीम तथा नील की भरपूर खेती करवाई।
(3) इसके बाद लगभग 150 वर्षों तक अंग्रेजों ने देश के विभिन्न भागों में किसी न किसी फसल के लिए किसानों को मजबूर किया। उदाहरण के लिए बंगाल में पटसन, असम में चाय, संयुक्त प्रान्त (वर्तमान में उत्तरप्रदेश) में गन्ना, पंजाब में गेहूँ, महाराष्ट्र व पंजाब में कपास तथा मद्रास में चावल आदि।