(1) नील आयोग ने बागान मालिकों को किसानों के उत्पीड़न तथा दमन का दोषी पाया।
(2) नील आयोग ने यह घोषणा की कि नील की खेती किसी भी तरह से किसानों के लिए लाभप्रद नहीं थी।
(3) इस आयोग ने रैयतों से अपने वर्तमान अनुबंधों को पूरा करने को कहा। साथ ही, कहा कि वे भविष्य में ऐसा कोई अनुबंध करने से मना कर सकते हैं।