सविनय अवज्ञा आन्दोलन में किसानों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।,धनी किसान व्यावसायिक फसलों की खेती करने के कारण व्यापार में मंदी और गिरती कीमतों से परेशान थे। जब उनकी नकद आय कम होने लगी, तो उनके लिए सरकारी लगान चुकाना असम्भव हो गया। अतः लगान में कमी कराने हेतु उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। परन्तु जब 1931 में लगानों में कमी किए बिना आन्दोलन वापस ले लिया गया, तो धनी किसानों में बड़ी निराशा हुई। फलतः जब 1932 में आन्दोलन पुनः शुरू हुआ, तो उनमें से बहुतों ने उसमें भाग नहीं लिया। गरीब किसान चाहते थे कि उन्हें जमींदारों को जो भाग चुकाना पड़ रहा था, उसे माफ कर दिया जाए। इसके लिए उन्होंने कई रेडिकल आन्दोलनों में भाग लिया। परन्तु उन्हें कांग्रेस की ओर से समर्थन नहीं मिला।