भूदान तथा ग्रामदान-भूदान तथा ग्रामदान आन्दोलन विनोबा भावे द्वारा चलाया गया था। विनोबा भावे एक बार जब आंध्र प्रदेश के एक गाँव पोचमपल्ली में बोल रहे थे तो कुछ भूमिहीन गरीब ग्रामीणों ने उनसे अपने आर्थिक भरण-पोषण के लिए कुछ भूमि माँगी। विनोबा भावे ने उनको आश्वासन दिया कि यदि वे सहकारी खेती करें तो वे भारत सरकार से बात करके उनके लिए जमीन मुहैया करवाएंगे।
अचानक श्री रामचन्द्र रेड्डी नामक एक महानुभाव उठ खड़े हुए और उन्होंने 80 भूमिहीन ग्रामीणों को 80 एकड़ भूमि बाँटने की पेशकश की। इसे 'भूदान' के नाम से जाना गया। बाद में विनोबा भावे ने पूरे देश में यात्राएँ की और अपना यह विचार पूरे भारत में फैलाया । कुछ जमींदारों ने, जो अनेक गाँवों के मालिक थे, भूमिहीनों को पूरा गाँव देने की पेशकश भी की। इसे 'ग्रामदान' कहा गया। कुछ जमींदारों ने भूमि सीमा कानून से बचने के लिए अपनी भूमि का एक हिस्सा दान किया था।
विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए इस भूदान-ग्रामदान आंदोलन को 'रक्तहीन क्रान्ति' का भी नाम दिया गया। प्रश्न 12. भारत में खाद्यान्नों के उत्पादन में आई गिरावट के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर भारत में खाद्यान्नों के उत्पादन में गिरावट के कारण-
भूमि के आवासन आदि जैसे-गैर कृषि भू-उपयोगों एवं कृषि के बीच बढ़ती भूमि की प्रतिस्पर्धा के कारण बोये गये निवल क्षेत्र में कमी आई है।
उर्वरक, पीड़कनाशी और कीटनाशी, जिन्होंने कभी आश्चर्यजनक परिणाम प्रस्तुत किये थे, को अब मिट्टी के निम्नीकरण का दोषी माना जाता है।
जल की कालिक कमी के कारण सिंचित क्षेत्र में कमी आई है।
जल एवं उर्वरकों के अधिक और अविवेकपूर्ण प्रयोग से जलाक्रांतता, लवणता एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं।
खाद्य फसलों की कृषि का स्थान फलों, सब्जियों, तिलहनों एवं औद्योगिक फसलों की कृषि लेती जा रही है। इससे अनाजों और दालों के अन्तर्गत निवल बोया गया क्षेत्र कम होता जा रहा है।