स्वतंत्रता के पश्चात् देश में संस्थागत सुधार करने के लिए जोतों की चकबंदी, सहकारिता तथा जमींदारी आदि समाप्त करने को प्राथमिकता दी गई।
प्रथम पंचवर्षीय योजना में भूमि सुधार मुख्य लक्ष्य था।
पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रान्ति एवं श्वेत क्रान्ति जैसे कृषि सुधार कार्यक्रमों का संचालन किया गया।
किसानों को सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग एवं बीमारी के लिए फसल बीमा उपलब्ध कराया गया तथा उन्हें न्यूनतम दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों एवं भूमि विकास बैंकों की स्थापना की गई।
किसानों के लाभ के लिए किसान क्रेडिट कार्ड एवं व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा शुरू की गई।
किसानों को बिचौलियों और दलालों से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य एवं कुछ महत्त्वपूर्ण फसलों के लिए लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार द्वारा घोषणा की जाती है।
आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर कृषकों के लिए मौसम की जानकारी के बुलेटिन एवं कृषि कार्यक्रमों का प्रचार प्रारम्भ किया गया।