सेवा क्षेत्र का संबंध मनुष्य की आवश्यकताओं और सुख-सुविधाओं से है। आर्थिक विकास एवं आय में वृद्धि के साथ ही इस क्षेत्र द्वारा उत्पादित सेवाओं की मांग बढ़ती है। कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में होनेवाले परिवर्तनों के साथ ही परिवहन संचार, शक्ति आदि सेवाओं की माँग में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। सेवा क्षेत्र के विकास द्वारा ही हम कृषि एवं उद्योग की वर्तमान तथा भावी माँग को पूरा कर सकते हैं।
योग्य, कुशल और प्रशिक्षित श्रम के अभाव में सेवा क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। एक सक्षम श्रमबल के निर्माण के लिए कुछ बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ आवश्यक है। बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ निम्नांकित हैं-
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मानवीय संसाधनों के विकास के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। देश में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएँ ही एक सक्रिय-श्रम-शक्ति का निर्माण करती है। परिवार कल्याण कार्यक्रम नागरिकों को औसत आयु बढ़ाने और जीवन स्तर को ऊंचा करने में सहायक है।
- आवास-आवास मनुष्य की एक आधारभूत आवश्यकता है। आवास की उचित व्यवस्था मानवीय संसाधनों के विकास में सहायक होती है।
- स्वच्छता-स्वच्छता अर्थात साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने में सहायक होता है।
- जलापूर्ति स्वस्थ जीवन एवं कार्यकुशलता को बनाए रखने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था अनिवार्य है।
- शिक्षा-मानवीय संसाधनों के विकास तथा सेवा क्षेत्र के विस्तार में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। 21 वीं सदी के ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है। हमारे देश में यथाशक्ति का विशाल भण्डार है। इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं।