सेवा क्षेत्र में आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण अभूतपूर्व प्रगति हुई है। यह रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत आए दिन मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं। भारत द्वारा 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाने से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए आमंत्रित हुईं, उन्हें भारत में व्यापार करने के लिए प्रोत्साहन और सुरक्षा प्रदान की गई जिसके कारण रोजगार में बढ़ोत्तरी हुई खासकर सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन होने से भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगा। बहुराष्ट्रीय कंपनी के बहुत सारे कारखाना या यूनिट खुलने से मजदूरों को काम मिलने लगा जिससे मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। परिणामस्वरूप वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया।
सरकार द्वारा व्यापार में उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में कंपनियों द्वारा रोजगार में सृजन होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को बल प्रदान हुआ है और हमारा सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी हुई है। सरकार के उदारीकरण के अन्तर्गत फैक्टरी या कंपनियों को न्यूनतम दर पर देश में आमंत्रित करने से रोजगार में सृजन हुआ है। अत: 90 के दशक के बाद उदारीकरण से सेवा क्षेत्र में अधिकतम रोजगार की सम्भावनाएँ बनी हैं। अत: सेवा क्षेत्र में बैंकिंग व्यवसाय, इनस्योरेंस, स्कूटर एवं मोटरगाड़ी उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग इत्यादि में रोजगार की बहुतायात में सृजन हुआ है। वास्तव में सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास सराहनीय है।