सेवा क्षेत्र में विशेषकर भारत में होटल व्यापार, परिवहन अथवा यातायात एवं संवाद वाहन सेवाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं। इसमें भी टेलीफोन विशेषकर मोबाईल फोन का सर्वाधिक योगदान रहा। सेवा क्षेत्र में विशेषकर वित्तीय सेवाओं की वृद्धि दर जो 2003-04 में 5.6% थी। 2004-05 में बढ़कर 8.7% और 2005-06 में 10.9% तथा पुनः बढ़कर 2006-07 में 11.1% हो गयी। आज इन उदार नीतियों के कारण ही पर्यटन होटल में रहना, खाना, घूमना, भ्रमण करना, सैर-सपाटयं, खरीदारी, निजी अस्पताल एवं विद्यालयों का प्रयोग व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी अनेक सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ी है। इस तरह की स्थिति छोटे-बड़े शहरों के अलावे बहुत बड़े-बड़े शहरों अथवा महानगरों में अधिक तेजी से बढ़ी है।
आज महत्वपूर्ण सेवाएँ विदेशों से प्राप्त करने की प्रवृत्ति बहुत तेजी से बढ़ गयी है। जैसे कम्प्यूटर सेवाएं, विज्ञापन, सुरक्षा, कानूनी सेवाएं, चिकित्सीय सेवाएँ इत्यादि।
भारत में आज तेजी से ध्वनि आधारित प्रक्रिया यानी जिसे बी. पी. ओ. अथवा कॉल सेन्टर कहा जाता है; अभिलेखांकन, लेखांकन, बैंकिंग सेवाएँ, रेलवे पूछताछ, संगीत की रिकॉर्डिंग, पुस्तक शब्दांकन, चिकित्सा संबंधी परामर्श, शिक्षण एवं शोध कार्य इत्यादि अनेक सेवाएँ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूरोपियन संघ जैसे कई विकसित देशों की कंपनियाँ प्रायः भारत की छोटी-छोटी कम्पनियों या संस्थाओं से प्राप्त कर रही हैं।
इन बहुराष्ट्रीय विदेशी कम्पनियों या सरकार का भारत से इन सेवाओं या सूचनाओं को प्राप्त करना तुलनात्मक लागत के आधार पर काफी फायदेमंद है। क्योंकि भारत में इन सेवाओं की तुलनात्मक लागत काफी कम है। इसका मुख्य कारण कुशल श्रमशक्ति की पर्याप्त उपलब्धता तथा निम्न मजदूरी द्वारा भारत अपने श्रम की मेघाशक्ति, कुशलता, विशिष्टता एवं निम्न मजदूरी के कारण जो सेवाएँ विदेशों को उनकी कम्पनियों के लिए भेजता है उसकी तुलनात्मक लागत काफी कम है। इसलिए इस क्षेत्र में व्यापक रोजगार मिल रहा है। यही कारण है कि आउट सोर्सिंग के मामले में भी भारत एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है, किन्तु संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड जैसे देशों में एक बहुचर्चित मुद्दा व समस्या भी बन गया है।
अतः कहा जा सकता है कि भारत विश्व को एक बहुत बड़ा सेवा प्रदान करने वाला यानी : प्रदाता है जिसकी सेवाएँ उल्लेखनीय हैं।