एक कण आयाम ' $a$ ' से सरल आवर्तगति करता है। इसकी स्थिति ऊर्जा अधिकतम होगी जब यह माध्य स्थिति से दूर होगा
[2002]
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(b) $PE =\frac{1}{2} m \omega^2 x ^2$
$x = a$ पर $; PE$ अधिकतम होगा, i.e., $=\frac{1}{2} m ^2 a ^2$ $K . E .=\frac{1}{2} m \omega^2\left( a ^2- x ^2\right)$ $x =0$ पर ; $KE$ अधिकतम है।
अत: $x =\pm a$ पर K.E. अधिक होगी।
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एक सरल लोलक का आयाम वास्तविक आयाम का $1 /$ 3 भाग हो जाता है जब वह 100 दोलन पूरे कर लेता है। जब वह 200 दोलन पूरे कर लेता है तो उसका आयाम $S$ भाग हो जाता है जहां $S$ का मान होगा-
किसी नगण्य द्रव्यमान के स्प्रिंग से लटकाये गये $M$ द्रव्यमान का दोलनकाल $T$ है। यदि इसके साथ ही एक अन्य $M$ द्रव्यमान लटका दिया जाय तो दोलनकाल हो जायेगा
दो सरल आवृत्तगति एक दूसरे के लम्बवत् है अर्थात् एक $x - $ अक्ष में तथा दूसरा $y-$ अक्ष में है। यदि दोनों का आयाम समान तथा कलान्तर $\pi / 2$ हो तो पथ होगा $-$