एक सरल आवृर्त्त दोलनचित्र में बल नियतांक $2 \times 10^6$ न्यूटन/मीटर, आयाम $0.01$ मीटर तथा कुल ऊर्जा $160 J$ है; तो
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$( a , c ) k =2 \times 10^6$ न्यूटन $/$ मीटर, $A =0.01 m , E =160 J$ हम जानते है कि कुल ऊर्जा अधिकतम स्थितिज ऊर्जा के बराबर होती है।
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एक सरल लोलक का आयाम वास्तविक आयाम का $1 /$ 3 भाग हो जाता है जब वह 100 दोलन पूरे कर लेता है। जब वह 200 दोलन पूरे कर लेता है तो उसका आयाम $S$ भाग हो जाता है जहां $S$ का मान होगा-
दो तरंगों को क्रमशः $y _1= a \sin (\omega t + kx +0.57) m$ तथा $y _2= a \cos (\omega t + kx ) m,$ से निरूपित किया जाता है, जहाँ $x$ मीटर में और $t$ सैकण्ड में है, तो दोनों तरंगों के बीच कलान्तर है:
दो द्रव्यमान $M _{ A }$ तथा $M _{ B }$ को दो तारों, जिनकी लम्बाइयां $L _{ A }$ तथा $L _{ B }$ है, से लटकाने पर सरल आवर्तगतियां करते है। यदि इनकी आवर्तियों में संबंध $f _{ A }=2 f _{ B }$ हो तो
एक बिन्दु सरल आवर्त दोलन करता है जिसका आवर्तकाल $T$ और चलन का समीकरण $x = a \sin (\omega t +\pi / 6)$ है। आवर्तकाल के किस अंश के पश्चात् बिन्दु का वेग उसके अधिकतम वेग का आधा होगा ?