यद्यपि 18वीं सदी की शुरुआत से ही भारत में कंपनी का व्यापार बढ़ता जा रहा था, लेकिन उसे भारत में ज्यादातर चीजें ब्रिटेन से लाए गए सोने, चांदी से ही खरीदनी पड़ती थीं। इसकी वजह यह थी कि उस समय ब्रिटेन के पास भारत में बेचने के लिए कोई चीज नहीं थी। 1765 में बंगाल प्रान्त की दीवानी मिलने के बाद अब कंपनी को ब्रिटेन से सोना लाने की जरूरत नहीं रही।