(1) सभी कम्पनियाँ एक जैसी चीजें ही खरीदना चाहती थीं। इसलिए वे व्यापार में एक-दूसरे की प्रतिस्पर्द्धा थीं।
(2) यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियाँ तभी फल-फूल सकती थीं जब वे अपनी प्रतिस्पर्द्धा कम्पनी को समाप्त कर देतीं।
(3) अपने-अपने लिए बाजार को सुरक्षित करने की जरूरतों के कारण ये कम्पनियाँ आपस में झगड़ती रहती थीं।