शाही दस्तावेज की यह सीमा थी कि यह दूसरी यूरोपीय शक्तियों को पूरब के बाजारों में आने से नहीं रोक सकता था। इसके निम्न परिणाम हुए।
(1) पुर्तगालियों ने इंग्लैण्ड से पहले भारत के पश्चिम तट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी थी। वे गोवा में अपना ठिकाना बना चुके थे।
(2) सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत तक डच भी हिन्द महासागर में व्यापार की सम्भावनाएँ तलाशने लगे थे।
(3) कुछ ही समय बाद फ्रांसीसी व्यापारी भी सामने आ गये।