अनुबन्धित मजदूरों ने जीवन व्यतीत करने के लिए निम्न तरीके ढूँढ़ निकाले थे-
(1) होस का मेला-त्रिनिदाद में मुहर्रम के वार्षिक जुलूस को एक विशाल मेले का रूप दे दिया गया। इस मेले को होस (इमाम हुसैन के नाम पर) नाम दिया गया। इस मेले में सभी धर्मों एवं नस्लों के मजदूर भाग लेते थे।
(2) रास्ताफारियानवाद-इसी प्रकार 'रास्ताफारियानवाद' एक विद्रोही धर्म था। इसे जमैका के रैगे गायक बॉब मार्ले ने प्रसिद्धि की चरम सीमा पर पहुँचा दिया था। इसमें भी भारतीय आप्रवासियों तथा कैरीबियाई द्वीप-समूह के बीच इन सम्बन्धों की झलक मिलती थी।
(3)'चटनी म्यूजिक' त्रिनिदाद और गुयाना में प्रसिद्ध 'चटनी म्यूजिक' भी भारतीय आप्रवासियों के वहाँ पहुँचने के बाद प्रकट हुई रचनात्मक अभिव्यक्ति थी।