उन्नीसवीं शताब्दी की विश्व अर्थव्यवस्था को समझने के लिए निम्नलिखित गतियों अथवा प्रवाहों का अध्ययन करना आवश्यक है-
व्यापार का प्रवाह-उन्नीसवीं शताब्दी में व्यापार मुख्य रूप से कपड़ा, गेहूँ आदि वस्तुओं तक ही सीमित था।
श्रम का प्रवाह-इसके अन्तर्गत लोग काम अथवा रोजगार की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं।
पूँजी का प्रवाह-इसमें पूँजी का अल्प अवधि अथवा दीर्घ अवधि के लिए दूर-दूर के प्रदेशों में निवेश किया जाता है।
ये तीनों प्रकार के प्रवाह एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और लोगों के जीवन को प्रभावित करते थे।