मान लीजिए कि $f : W \rightarrow W, f(n) = n - 1$, यदि $n$ विषम है तथा $f(n) = n + 1,$ यदि $n$ सम है, द्वारा परिभाषित है। सिद्ध कीजिए कि $f$ व्युत्क्रमणीय है। f का प्रतिलोम ज्ञात कीजिए। यहाँ $W$ समस्त पूर्णांकों का समुच्चय है।
Miscellaneous Exercise-2
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दिया गया फलन $f : W \rightarrow W, f(n) =$ द्वारा परिभाषित है।
मान लीजिए $f(n) = f(m)$
अब, यदि n विषम तथा m सम हो, तो
$n - 1 = m + 1$
$\Rightarrow n - m = 2$
जोकि संभव नहीं है।
इसी प्रकार यदि $n$ सम तथा $m$ विषम हो, तो एक असंभव परिणाम प्राप्त होगा। अतः $n$ तथा $m$ दोनों या तो सम होंगे या दोनों विषम होंगे।
अब, यदि $n$ तथा $m$ दोनों विषम हों, तो
$f(n) = f(m) $
$\Rightarrow n - 1 = m - 1 $
$\Rightarrow n = m$
पुनः यदि दोनों सम हों, तो
$f(n) = f(m) $
$ \Rightarrow n + 1 = m + 1 $
$ \Rightarrow n = m$
अतः $f$ एकैकी फलन है।
अतः स्पष्ट है कि सहप्रांत $W$ में स्थित प्रत्येक विषम संख्या $2r + 1,$ प्रांत $W$ की सम संख्या $2r$ का प्रतिबिंब है तथा सहप्रांत $W$ में स्थित प्रत्येक सम संख्या $2r,$ प्रांत $W$ विषम संख्या $2r + 1$ का प्रतिबिंब है।
$\therefore$ आच्छादक फलन है।
अतः $f$ प्रतिलोमी फलन है।
अब, मान लीजिए $g : W \rightarrow W$ द्वारा परिभाषित है।
जब $n$ विषम हो, तो
$(gof)(n) = g(f(n)) = g(n - 1)$
$= n - 1 + 1 = n (\because n$ विषम है $\therefore n - 1$ सम है$)$
जब $n$ सम हो, तो
$(gof)(n) = g(f(n)) = g(n + 1)$
$= n + 1 - 1 = n (\because n$ सम है तथा $\therefore n + 1$ विषम है$)$
इसी प्रकार, जब $m$ विषम हो, तो
जब $m$ सम हो तो $(fog)(m) = f(g(m)) = f(m - 1) = m - 1 + 1 = m$
जब $m$ सम हो, तो $(fog)(m) = f(g(m)) = f(m + 1) = m + 1 - 1 = m$
$\therefore gof = I_W$ तथा $fog = l_W$
अतः $f$ प्रतिलोमीय फलन है तथा f का प्रतिलोम $f^{-1 }= g = f$ है। अतः $f$ का प्रतिलोम $f$ स्वयं ही है।
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मान लीजिए कि $f : R \rightarrow R, f(x) = 10x + 7$ द्वारा परिभाषित फलन है। एक ऐसा फलन $g : R \rightarrow R$ ज्ञात कीजिए जिसके लिए $gof = fog = I_R$ हो।
किसी प्रदत्त अरिक्त समुच्चय $X$ के लिए एक द्विआधारी संक्रिया $*: P(X) \times P(X) \rightarrow P(X)$ पर विचार कीजिए, जो $A * B = A \cap B, \forall A, B \in P(X)$ द्वारा परिभाषित है, जहाँ $P(X)$ समुच्चय $X$ का घात समुच्चय $($Power set$)$ है। सिद्ध कीजिए कि इस संक्रिया का तत्समक अवयव $X$ है तथा संक्रिया $*$ के लिए $P(X)$ में केवल $X$ व्युत्क्रमणीय अवयव है।
सिद्ध कीजिए कि $f(x)=\frac{1}{x}$ द्वारा परिभाषित फलन $f: \mathbf{R}_{*} \rightarrow \mathbf{R}_{*}$ एकैकी तथा आच्छादक है, जहाँ $\mathbf{R}_{*}$सभी ऋणेतर वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। यदि प्रांत $\mathbf{R}_{*}$ को N से बदल दिया जाए, जब कि सहप्रांत पूर्ववत $\mathbf{R}_{\boldsymbol{*}}$ ही रहे, तो भी क्या यह परिणाम सत्य होगा?