इतिहास के हर दौर में मानव-समाज एक-दूसरे के ज्यादा नजदीक आते गए हैं। यह निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट है-
प्राचीन काल से ही यात्री, व्यापारी, पुजारी और तीर्थयात्री ज्ञान, अवसरों और आध्यात्मिक शांति के लिए या उत्पीड़न/यातनापूर्ण जीवन से बचने के लिए दूर-दूर की यात्राओं पर जाते रहे हैं।
अपनी यात्राओं में ये लोग तरह-तरह की चीजें, पैसा, मूल्य-मान्यताएँ, हुनर, विचार, आविष्कार और यहाँ तक कि कीटाणु और बीमारियाँ भी साथ लेकर चलते रहे हैं।
3,000 ईसा पूर्व में समुद्री तटों पर होने वाले व्यापार के माध्यम से सिंधु घाटी की सभ्यता उस इलाके से भी जुड़ी हुई थी जिसे आज हम पश्चिमी एशिया के नाम से जानते हैं।
हजार साल से भी ज्यादा समय से मालदीव के समुद्र में पाई जाने वाली कौड़ियाँ (जिन्हें पैसे या मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था) चीन और पूर्वी अफ्रीका तक पहुँचती रही हैं।
बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का दूर-दूर तक पहुँचने का इतिहास भी सातवीं सदी तक ढूँढ़ा जा सकता है।
तेरहवीं सदी के बाद तो इनके प्रसार को निश्चय ही साफ देखा जा सकता है.।