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एक हाइड्रोकार्बन ' $A$ ' क्लोरीनेशन के पश्चात् $B$ प्रदान करता है जो एल्कोहॉलिक पोटेशियम हाइड्राक्साइड के साथ गर्म करने पर अन्य हाइड्रोकार्बन ' $C$ ' में बदल जाता है। बाद वाला (C) बेयर अभिकारक को रंगहीन बना देता है तथा ओजोनोलिसिस करने पर फॉर्मलडिहाइड प्रदान करता है तो ' $A$ ' है:
प्लेटिनम उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोकार्बन $A$ में हाइड्रोजन से मिलकर $n$-हेक्सेन का निर्माण करता है। किन्तु जब हाइड्रोजन के बदले हाइड्रोजन ब्रोमाइड मिलाया जाता है तो केवल एक ब्रोमो यौगिक का निर्माण होता है। निम्नलिखित में से ' $A$ ' कौन सा है?
एल्कीन $R - CH = CH _2$ आसानी से $B _2 H _6$ के साथ अभिक्रिया करता है तथा $B$ उत्पाद का निर्माण करता है जो क्षारीय हाइड्रोजन परॉक्साइड से उपचयित कराने पर उत्पादित करता है।
निम्नलिखित में से कौन सबसे उपयुक्त अभिकर्मक है जो तीन अन्य यौगिकों से यौगिक (3) की पहचान कराता है?
1. $CH _3- C \equiv C - CH _3$
2. $CH _3- CH _2- CH _2- CH _3$
3. $CH _3- CH _2 C \equiv CH$
4. $CH _3- CH = CH _2$.
निम्नलिखित में से कौन सा हानिकारक प्रदूषक, वाहनों में से निकली हुई गैसों में उपस्थित होता है? (i) $N _2$ (ii) $CO$ (iii) $CH _4$ (iv) नाइट्रोजन ऑक्साइड
लीथियम की bcc संरचना है। इसका घनत्व $530 kg / m ^3$ तथा परमाणु द्रव्यमान $6.94 g mol ^{-1}$ है। लिथियम धातु एकक कोप्ठिका के कोर की लम्बार्ई है:
$\left( N _{ A }=6.02 \times 10^{23} mol ^{-1}\right)$
$A ^{+}$एवं $B ^{-}$आयनों की आयनिक त्रिज्याएँ क्रमश: $0.98 \times 10^{-10} m$ एवं $1.81 \times 10^{-10} m$ है। $AB$ में प्रत्येक आयन की उपसहसंयोजन संख्या है:
( $\Delta_0=$ अष्टफलकीय फील्ड में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा, $P =$ इलेक्ट्रॉन युग्मीय ऊर्जा)एक धातु $fcc$ जालक है। एकक कोष्ठिका के किनारे की लम्बाई $404 pm$ है। धातु का घनत्च $2.72 g cm ^{-3}$ है। धातु का मोलर द्रव्यमान होगा:$\left( N _{ A }\right.$ आवोगाद्रो स्थिरांक $\left.=6.02 \times 10^{23} mol ^{-1}\right)$
एक मिश्र ऑक्साइड की संरचना घन संकुलित (c.c.p) है। मिश्र ऑक्साइड का घन यूनिट सेल ऑक्साइड आयनों का बना हुआ है। टेट्रहेड्रल रिक्त स्थानों का एक चौथाई भाग द्विसंयोजक धातु $A$ द्वारा भरा हुआ है तथा ऑक्टाहेड्रल रिक्त स्थान एकसंयोजक धातु $B$ से भरे हैं। ऑंक्साइड का सूत्र है :
$AB$ काय केन्द्रित घनीय जालक में क्रिस्टलित होता है जिसके कोर ' $a$ ' की लम्बाई $387 pm$ होती है। जालक में दो परस्पर विरुद्ध आवेश वाले आयनों के बीच की दूरी है:
लीथियम धातु काय केन्द्रित घन क्रिस्टल में क्रिस्टलित होती हैं। यदि लीथियम के यूनिट सेल के साइड की लम्बाई $351 pm$ है तो लीथियम की परमाणु त्रिज्या होगी:-
यदि ' $a$ ' घनीय तंत्रः साधारण घन, कार्य केन्द्रित फलक तथा फलक केन्द्रित घन, की कोर लम्बाई को दर्शाए तब इन तंत्रों में गोलकों की त्रिज्याओं का अनुपात क्रम इस प्रकार होगा।
यदि $NaCl$ में $SrCl _2$ की $10^{-4}$ मोल प्रतिशत अशुद्धि हो तो, इसमें धनायन रिक्तता की सान्द्रता होगी [2007] $\left( N _{ A }=6.02 \times 10^{23}\right.$ मोल $\left.^{-1}\right)$
$CsBr , BCC$ जालक में क्रिस्टलीकृत होता है। इकाई सेल की लम्बाई $436.6 pm$ है। दिए गए परमाणु $Cs$ का परमाणु द्रव्यमान $-133$ तथा $Br =80 amu$ तथा आवोग्रादो संख्या $\left( N _{ A }\right)=6.02 \times 10^{23} mol ^{-1}$ है। तो $CsBr$ का घनत्व निम्नलिखित में से क्या है?
क्रिस्टलीय सोडियम क्लोराइड का पिकनोमेट्रिक घनत्व $2.165 \times 10^3$ किग्रा/ $/{ }^3$ है। जबकि $X$ - किरणों का घनत्व $2.178 \times 10^3$ किग्रा/ $/ ी^3$ है। क्रिस्टलीय सोडियम क्लोराइड में खाली स्थान की अंशता है :-
एक यौगिक तत्व $A$ और $B$ से बना है। इसकी धनाकार क्रिस्टलीय संरचना में $A$ के परमाणु घन के कोनों पर और $B$ के परमाणु घन के मध्य में स्थित है। यौगिक का सरलतम सूत्र है :-
एक धातु के समानान्तर समतलों के समूह से $1.00$ $A$ के $X$ - किरणों का द्वितीय कोटि का ब्रेग विवर्तन $60^{\circ}$ कोण पर होता है। क्रिस्टल में विवर्तन समतलों के बीच की दूरी क्या है?
अंतरधात्विक यौगिक $LiAg$ घन जालक में क्रिस्टलीकृत होता है जिनमें दोनों लीथियम और चाँदी के परमाणुओं की समन्वय संख्या 8 है। यह इकाई सेल किस प्रकार के क्रिस्टल से संबंधित है?
एक शुद्ध क्रिस्टलीय पदार्थ को गर्म करने से स्थिर ताप पर एक गाढ़ा द्रव बनता है और उच्च ताप पर गाढ़ापन अदृश्य हो जाता है, इस प्रकार का व्यवहार करने वाला पदार्थ
बेंजीन एवं टॉलूर्डन के $1: 1$ आदर्श मोलर मिश्रण के संयोजन के लिये निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है, कल्पना करे कि तापमान $25^{\circ} C$ पर स्थिर है। (दिये गये दाब $25^{\circ} C$ पर बेन्जीन $=12.8 kPa$, टॉलूर्ईन $=3.85 kPa )$
$25^{\circ} C$ पर क्लोरोफार्म $\left( CHCl _3\right)$ तथा डाइक्लोरोमेथेन $\left( CH _2 Cl _2\right)$ के वाष्प दाब $200 mm Hg$ तथा $41.5 mm Hg$ हैं। $25.5 g CHCl _3$ के तथा $40 g CH _2 Cl _2$ के मिलाने पर प्राप्त विलयन का वाष्प दाब उसी ताप पर होगा, $CHCl _3$ का अणु भार $=119.5 u$ तथा $CH _2 Cl _2$ का अणु भार $=85 u$ है)
एक आदर्श द्विअंगी विलयन के विशुद्ध द्रव अवयवों, $A$ तथा $B$ के वाष्पदाब क्रमशः $P_A$ तथा $P_B$ हैं यदि अवयव $A$ के मोल प्रभांश को $X _{ A }$ से व्यक्त किया जाये तो विलयन का कुल वाष्प दाब होगा :
एक प्रोटीन के $200 mL$ में इसका $1.26 g$. है। इस विलयन का $300 K$ पर परासरणी दाब $2.57 \times 10^{-3}$ बार पाया गया। प्रोटीन का मोलर द्रव्यमान होगा। $( R =0.083 L$ bar $mol ^{-1} K ^{-1}$ )
जल का हिमांक अवनमन स्थिरांक $-1.86^{\circ} C m ^{-1}$ है। यदि $5.00 g Na _2 SO _4$ को $45.0 g H _2 O$ में घोला जाता है तो हिमांक- $3.82^{\circ} C$ से परिवर्तित हो जाता है। $Na _2 SO _4$ के लिए वॉन्ट हॉफ गुणक की गणना कीजिए।
सूक्रोज का $68.5 g$ जल के $1000 g$ में घुलाकर सूक्रोज (मोलर द्रव्यमान $=342 g mol ^{-1}$ ) का विलयन बनाया गया है। प्राप्त विलयन का हिमांक होगा।$\left(K_{ f }\right.$ जल $\left.=1.86 k kg mol ^{-1}\right)$.
सोडियम कार्बोनेट $Na _2 CO _3$ का $25.3 g$ पर्याप्त जल में घुलाकर $250 mL$ विलयन बनाया जाता है। यदि सोडियम कार्बोनेट पूरी तरह से घुल जाता है तो सोडियम आयन,
$Na ^{+}$और कार्बोनेट आयन, $CO _3^{2-}$ की मोलर सांद्रता होती है क्रमशः $\left( Na _2 CO _3\right.$ का मोलर द्रव्यमान $=106 g mol ^{-1}$ )
एक आयनिक यौगिक $Co \left( NH _3\right)_5\left( NO _2\right) Cl$ का एक $0.0020 m$ जलीय विलयन $-0.00732^{\circ} C$ पर हिमीभूत होता है। आयनों के मोलों की संख्या, जो 1 मोल आयनिक यौगिक पानी में घुलाने पर पैदा करेगा, होगी, $\left( K _{ f }=-1.86^{\circ} C / m \right):-$
$51.2 g$ बेंजीन में $1.00 g$ विद्युत अनअपघट्य (मोलर द्रव्यमान $=250 g mol ^{-1}$ ) घोला जाता है। यदि बेंजीन के हिमांक बिन्दु का अवनमन स्थिरांक $K _{ f }=5.12 kg mol ^{-1}$ है तो बेंजीन का हिमांक कितना कम होगा?
एक अवाष्पशील विलेय का $5 \%$ विलयन यूरिया (अणु द्रव्यमान 60) के $10 g per dm ^3$ के विलयन के साथ सम परासरी है। अवाष्पशील विलेय का अणु-द्रव्यमान निम्नलिखित में से है :-
यूरिया (अणु भार $56 g / mol ^{-1}$ ) के विलयन को वायुमण्डलीय दाब पर $100.18^{\circ} C$ ताप पर गर्म किया जाता है। यदि जल के $K _{ f }$ तथा $K _{ b }$ क्रमशः $1.86$ तथा $0.512 K$ कि.ग्राम/मोल है तो दिया विलयन किस ताप पर जमेगा?
एक विलयन में पेंटेन तथा हेक्सेन के मोलों का अनुपात $1: 4$ है। शुद्ध हाइड्रोकार्बन के $20^{\circ} C$ पर पेंटेन का वाष्प दाब 400 मिमी $Hg$ तथा हेक्सेन का वाष्प दाब 120 मिमी $Hg$ है। वाष्पीय अवस्था में पेंटेन का मोल अंश होना चाहिए
दो घटकों से विलयन का निर्माण किस प्रकार निरूपित किया जा सकता है।
(1) शुद्ध विलायक $\rightarrow$ विलगित विलायक के अणु, $\Delta H _1$
(2) शुद्ध विलेय $\rightarrow$ विलगित विलेय के अणु, $\Delta H _2$
(3) विलगित विलायक और विलेय के अणु $\rightarrow$ विलयन, $\Delta H _3$
इस प्रकार प्राप्त विलयन आदर्श होगा यदि
एक विलयन में $M _2$ अणु द्रव्यमान का अवाष्पशील विलेय है। परासरण दाब के पद में विलेय के अणु-द्रव्यमान की गणना में निम्नलिखित में से किस का प्रयोग किया जा सकता है।
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