सिद्ध कीजिए कि $a * b=a+2 b$ द्वारा परिभाषित $*: \mathbf{R} \times \mathbf{R} \rightarrow \mathbf{R}$ क्रमविनिमेय नहीं है।
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क्योंकि $3 * 4=3+8=11$ और $4 * 3=4+6=10$, अतः संक्रिया * क्रमविनिमेय नहीं है। यदि हम समुच्चय X के तीन अवयवों को X में परिभाषित किसी द्विआधारी संक्रिया के द्वारा संबद्ध करना चाहते हैं तो एक स्वाभाविक समस्या उठती है। व्यंजक $a * b * c$ का अर्थ $(a * b) * c$ अथवा $a *(b * c)$ हो सकता है और यह दोनों व्यजंक, आवश्यक नहीं है, कि समान हों। उदाहरणार्थ $(8-5)-2 \neq 8-(5-2)$. इसलिए, तीन संख्याओं 8, 5 और 3 का द्विआधारी संक्रिया 'व्यवकलन' के द्वारा संबंध अर्थहीन है जब तक कि कोष्ठक (Bracket) का प्रयोग नहीं किया जाए। परंतु योग की संक्रिया में, 8 + 5 + 2 का मान समान होता है, चाहे हम इसे (8 + 5) + 2 अथवा 8 + (5 + 2) प्रकार से लिखें। अतः तीन या तीन से अधिक संख्याओं का योग की संक्रिया द्वारा संबंध, बिना कोष्ठकों के प्रयोग किए भी, अर्थपूर्ण है।
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    तीन फलन f : $\mathbf{N} \rightarrow \mathbf{N}, g: \mathbf{N} \rightarrow \mathbf{N}$ तथा $h: \mathbf{N} \rightarrow \mathbf{R}$ पर विचार कीजिए जहाँ f(x) = 2x, g(y) = 3y + 4 तथा $h(z)=\sin z, \forall x, y$ तथा $z \in \mathbf{N}$. सिद्ध कीजिए कि $h o(g of)=(h \mathrm{og}) of.$
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    सिद्ध कीजिए कि f(x) = 2x द्वारा प्रदत्त फलन f : $ \mathbf{R} \rightarrow \mathbf{R}$, एकैकी तथा आच्छादक है।
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    1. $f=\{(1,1),(2,2),(3,3)\}$
    2. $f=\{(1,2),(2,1),(3,1)\}$
    3. $f=\{(1,3),(3,2),(2,1)\}$
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    निर्धारित कीजिए कि समुच्चय R में प्रदत्त निम्नलिखित द्विआधारी संक्रियाओं में से कौन सी साहचर्य हैं और कौन सी क्रमविनिमेय हैं।
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    $Z^{+ }$ में, संक्रिया $ *, a * b=|a-b|$ द्वारा परिभाषित
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