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दर्शाये गये परिपथ में दो सेलों $A$ तथा $B$ का प्रतिरोध नगण्य है, जब $V_A=12 V , R_1=500 \Omega$ तथा $R=100 \Omega$ है तो, गैल्वेनोमीटर $(G)$ में कोई विक्षेप नहीं होता है। $V_B$ का मान है :
एक विद्युत बल्ब की अंकित वोल्टता तथा शक्ति क्रमशः $220$ वोल्ट $- 100$ वॉट है। यदि बल्ब के सिरों के बीच वोल्टता, इस अंकित वोल्टता से $2.5 \%$ कम हो जाये तो, उसकी शक्ति में, अंकित शक्ति के सापेक्ष कितने प्रतिशत की कमी होगी ?
एक वलय, एक तार जिसका प्रतिरोध $R_0=12 \Omega$ से बना है। इस वलय में ऐसे किन दो बिन्दुओं $A$ और $B$ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, पर धारावाही चालक को जोड़ा जाय ताकि, इन दो बिन्दुओं के बीच उप परिपथ का प्रतिरोध $R =\frac{8}{3} \Omega$ हो।
नगण्य प्रतिरोध का एक ताप-विद्युत युग्म, ताप के रेखीय परिसर में $40 \mu V /{ }^{\circ} C$ विद्युत वाहक बल (ई.एम.एफ) उत्पन्न करता है। इस ताप विद्युत युग्म के साथ 10 ओम प्रतिरोध का एक गैल्वेनोमीटर लगाया गया है, जिसकी सुग्राहिता $1 \mu A / div$ भाग है, तो इस निकाय (तंत्र) द्वारा संसूचित की जा सकने वाले न्यूनतम तापान्तर का मान होगा:
किसी बैटरी से जुड़े $2 \Omega$ के प्रतिरोध में $2 A$ विद्युत धारा प्रवाहित होती है। यदि बैटरी $9 \Omega$ के प्रतिरोध में $0.5 A$ की धारा प्रवाहित करती है, तो बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध होगा:
$10^{-2} kg$ द्रव्यमान के किसी कण पर $5 \times 10^{-8} C$ का आवेश है। इस कण को विद्युत क्षेत्र $\bar{E}$ और चुम्बकीय क्षेत्र $\vec{B}$ की उपस्थिति में $10^{-5} ms ^{-1}$ का क्षैतिज वेग दिया जाता है। कण के क्षैतिज दिशा में गति करते रहने के लिये यह आवश्यक है कि
(1) $\vec{B}$ वेग की दिशा के लम्बवत् और $\bar{E}$ वेग की दिशा के अनुदिश हो
(2) $\vec{B}$ और $\vec{E}$ दोनों ही वेग की दिशा के अनुदिश हो
(3) $\vec{B}$ और $\vec{E}$ दोनों आपस में और वेग की दिशा के लम्बवत् हों
(4) $\vec{B}$ वेग की दिशा को अनुदिश और $\vec{E}$ उसके लम्बवत् हो
निम्नलिखित प्रकथनों के युग्मों में से कौन सा संभव है?
एक परिनालिका में $2000$ फेरे पास $-$ पास लपेटे गये हैं। इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.5 \times 10^{-4} m ^2$ है और इसमें $2.0 A$ की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इसे लम्बाई के लम्बवत् अपने केन्द्र से इस प्रकार लटकाया गया है कि यह किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षैतिज समतल में घूम सके। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $5 \times 10^{-2}$ टेसला है और यह परिनालिका के अक्ष से $30^{\circ}$ का कोण बनाता है। परिनालिका पर बल आघूर्ण होगा
किसी ताप-वैद्युत युग्म का वोल्ट में ताप-विद्युत वाहक बल $E,{ }^{\circ} C$ में दोनों संधियों के बीच तापान्तर $\theta$ पर इस प्रकार निर्भर करता है $E=30 \theta-\frac{\theta^2}{15}$, इस ताप-वैद्युत युग्म का उदासीन ताप होगा
विद्युतवाही एक लूप $($पाश$)$ में दो एक समान अर्धवृत्ताकार भाग है। प्रत्येक की त्रिज्या $R$ है। एक $x-y$ समतल में और दूसरा $x-z$ समतल में स्थित है। यदि लूप $($पाश$)$ में विद्युत धारा $i$ हो तो, उनके उभयनिष्ठ केन्द्र पर दोनों अर्धवृत्ताकार भागों के द्वारा उत्पन्न परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र है
निम्नांकित में से कौन से आबंध से ऐसे ठोस का निर्माण होता है जो दृश्य क्षेत्र में प्रकाश को परावर्तित करता है, और जिसकी वैद्युत चालकता ताप के साथ कम होती है तथा जिसका उच्च गलनांक होता है?
विद्युत अपघटन द्वारा क्लोरीन गैस के उत्पादन के लिए $125 V$ पर $100 kW$ शक्ति का उपयोग होता है। प्रति मिनट कितनी क्लोरीन विमुक्त हो रही है? (क्लोरीन का विद्युत रासायनिक तुल्यांक $=0.367 \times 10^{-6} kg / C$ )
निम्नलिखित दो कथनों पर विचार कीजिये
(a) किरचॉंफ का संधि नियम, आवेश-संरक्षण से प्राप्त होता है।
(b) किरचॉंफ का पाश (लूप) नियम, उर्जा-संरक्षण से प्राप्त होता है।
निम्नांकित में से कौन सा ठीक (सही) है?
किसी विभवमापी के परिपथ को चित्र में दिखाये गये अनुसार व्यवस्थिति किया गया है। इस विभवमापी के तार पर विभवपात (प्रवणता) $k$ वोल्ट प्रति सेन्टीमीटर है, और जब द्विमार्गी कुंजी नहीं लगी है (आंफ है) तब, परिपथ में जुड़े एमीटर की माप $1.0 A$ है। जब कुंजी (i) 1 और 2 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_1 cm$ पर, (ii) और जब कुंजी 1 और 3 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_2 cm$ पर प्राप्त होता है। तो, $R$ और $X$ प्रतिरोधकों का ओम में प्रतिरोध क्रमशः होगा
12 ओम प्रति मीटर के एक तार को मोड़ कर 10 से.मी. त्रिज्या का एक वृत्त बनाया गया है। इसके व्यास के अभिमुख बिन्दुओं, $A$ और $B$, जैसा चित्र में दर्शाया हैं, के बीच के प्रतिरोध का मान होगा:-
एक छात्र एक सैल (जिसका वि.वा.ब. (emf) $E$ है और आन्तरिक प्रतिरोध $r$ है) के टर्मिनलों के विभवांतर (V) का सैल में चल रही धारा (I) से सम्बन्ध जानने के लिए $V$ और I के बीच ग्राफ़ बनाता है। इस ग्राफ की प्रवणता और अंतः खण्ड क्रमानुसार होंगे :-
$50 \Omega$ प्रतिरोध के एक गैलवैनोमीटर को $3 V$ की बैट्री से इस तरह जोड़ा गया है कि $2950 \Omega$ का रोधक इससे श्रृंखलाबद्ध जुड़ा है। इस स्थिति में गैलवैनोमीटर में 30 प्रभागों का पूरी स्केल का विक्षेपन होता है। विक्षेपन को 20 प्रभाग का होने के लिए श्रृंखलाबद्ध प्रतिरोध को होना होगा :
एक पदार्थ विशेष की तार को धीरे $-$ धीरे खींच कर $10 \%$ बड़ा कर लिया गया है। नई अवस्था में इसका प्रतिरोध और विशेष प्रतिरोध क्रमानुसार पहली अवस्था की तुलना में हो जायेंगे :
एक सैल को पोटैंशियोमीटर तार के $110$ और $100$ से.मी. के प्रति क्रमानुसार $10 \Omega$ के प्रतिरोध से शंटित और न शंटित अवस्था में संतुलित किया जा सकता है। सैल का आंतरिक प्रतिरोध होगा:
समान मान $2 \Omega$ के तीन प्रतिरोध $P , Q , R$ तथा एक अज्ञात प्रतिरोध $S$ मिल कर व्हीट्स्टोन ब्रिज परिपथ की चार भुजाएँ बनाते हैं। प्रतिरोध $S$ के समान्तर क्रम में $6 \Omega$ का प्रतिरोध लगाने पर ब्रिज संतुलित हो जाता है। अज्ञात प्रतिरोध $S$ का मान कितना है?
एक ताम्र वोल्टामीटर में $1.5$ ऐम्पियर की स्थिर धारा 10 मिनट के लिये बहती है। यदि तांबे के लिये विद्युत-रासायनिक तुल्यांक $30 \times 10^{-5}$ ग्राम-कूलाम-1 हो तो इलेक्ट्रोड पर विक्षिप्त ताँबे का द्रव्यमान होगा-
एक आमीटर का प्रतिरोध $13 \Omega$ है और यह $100$ ऐम्पियर तक की धाराएँ माप सकता है। इसमें अतिरिक्त शंट जोड़ने पर यह आमीटर $750$ ऐम्पियर तक की धाराएँ मापने के लिए सक्षम हो जाता है। अतिरिक्त शंट का प्रतिरोध होगा $-$
दो सेल समान वि.वा.ब. तथा $r _1, r _2,\left( r _1> r _2\right)$ आन्तरिक प्रतिरोध के हैं जो बाहय प्रतिरोध $R$ के साथ श्रेणी क्रम में जुड़े है। बंद परिपथ में पहले सेल का विभवांतर शून्य है तो $R$ का मान :
विद्युत अपघटन के द्वारा क्लोरीन बनाने में $100 W$ की पावर $125 V$ पर खर्च होती है। 1 मिनट में कितनी क्लोरीन बनेगी। क्लोरीन का वैद्युत रासायनिक तुल्यांक (E.C.E.) $0.367 \times 10^{-6}$ किग्रा/कलॉम
एक तार जिसका वक्र पृष्ठ क्षेत्रफल $a$ लम्बाई 1 तथा प्रतिरोध $R$ है। इसे एक वृत के रूप में मोड़ा गया है। इसके किसी व्यास के दोनों छोड़ो के बीच प्रतिरोध ज्ञात करो।
एक बैटरी में $10 \ A$ की धारा 8 घंटे तक प्रवाहित की गयी तो उसका विभव $15 V$ है। यह बैटरी विआवेशित होने पर $15$ घंटे के लिए $5\ A$ की धारा देती है यानि विआवेशीकरण के दौरान इसकी छोर वोल्टता $14$ वोल्ट है। बैटरी की वाट $-$ घंटा क्षमता है:
एक $6$ वोल्ट की बैटरी को $3 m$ लम्बे तार, जिसका प्रतिरोध $100 \Omega$ है, के साथ जोड़ दिया गया। तार के दो बिन्दुओं जो $500$ सेमी दूरी पर हो विभवांतर के बीच ज्ञात करो।
भारत में बिजली सप्लाई $220 V$ पर होती है तथा $\text{USA}$ में $110 V$ पर होती है। एक $60 W$ के बल्ब का प्रतिरोध भारत में $R$ है तो $\text{USA}$ में इसका प्रतिरोध में बताइये:$-$
एक इलैक्ट्रिक केतली में दो कुंडली है। एक कुंडली काम करे तो पानी उबलने में 10 मिनट तथा दूसरी कुंडली काम करे तो पानी उबलने में 40 मिनट लगते है। अगर दोनों कुंडली समांतर क्रम में जोड़े तो पानी उबलने में लगा समय है:
एक सेल के टर्मिनलों के बीच विभव $2.2 V$ है जबकि सेल खुले परिपथ में है। अगर $5 \Omega$ का प्रतिरोध सेल के टर्मिनलों के बीच लगा दें तो विभव $1.8 V$ हो जाता है। सेल का आन्तरिक प्रतिरोध होगा :
$10^5 C$ आवेश $1$ ग्राम$-$तुल्यांक एल्यूमिनियम देता है। तो कितनी एल्यूमिनियम $($तुल्यांकी ग्राम $-9)$ मिलेगी जब $I _0$ धारा $20$ मिनट के लिए प्रवाहित की गयी हो?
तीन तांबे के तार की लम्बाई तथा पृष्ठ क्षेत्रफल $( L , A ),\left(2 L , \frac{1}{2} A \right),\left(\frac{1}{2} L , 2 A \right)$ है। किसका प्रतिरोध सबसे कम होगा?
दो तार समान लम्बाई के है परन्तु पृष्ठ क्षेत्रफलों का अनुपात $3: 1$ है। इन्हें श्रेणी क्रम में जोड़ा गया। मोटे तार का प्रतिरोध $10 \Omega$ है। इसका तुल्य प्रतिरोध है :
हमारे पास $R=10 \Omega$ के कुछ प्रतिरोध हैं जो कि उच्चतम धारा $1 A$ सहन कर सकते है। हमें इन्हें जोड़कर $5 \Omega$ का तुल्य प्रतिरोध बनाना है जो कि $4 A$ की धारा सहन कर सके। बताइये इस कार्य के लिए कितने कम से कम प्रतिरोधों की आवश्यकता होगी।
40 विद्युत बल्ब $220 V$ सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। कुछ समय बाद 1 बल्ब खराब हो गया तथा बचे हुए 39 बल्ब फिर समान सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। तीव्रता होगी :
दो सैल जिनके वि.वा.ब. $4 V$ तथा $8 V$ एवं आंतरिक प्रतिरोध $1 \Omega$ तथा $2 \Omega$ है एक $9 \Omega$ के बाहय प्रतिरोध से जुड़े है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। बिन्दु $P$ तथा $Q$ के बीच विभवान्तर तथा धारा का मान होगा:
कोई वर्गाकार पाश (लूप) $\text{ABCD}$ जिससे धारा $i$ प्रवाहित हो रही है, किसी लम्बे सीधे चालक $XY$ जिससे धारा I प्रवाहित हो रही है के निकट एक ही तल में रखा है। इस पाश पर लगने वाला नेट बल होगा:
त्रिज्या $a$ के किसी लम्बे सीधे तार से कोई स्थायी धारा प्रवाहित हो रही है। इस तार की अनुप्रस्थ काट पर धारा एकसमान रूप से वितरित है। तार के अक्ष से त्रिज्य दूरियों $\frac{ a }{2}, 2 a$ पर क्रमशः चुम्बकीय क्षेत्रों $B$ और $B ^{\prime}$ का अनुपात है।
एक प्रोटॉन तथा एक एल्फा कण, किसी एक समान चुम्बकीय क्षेत्र $B$ के प्रदेश में प्रवेश करते हैं। इनकी गति की दिशा क्षेत्र $B$ के लम्बवत् है। यदि दोनों कणों के लिए वृत्ताकार कक्षाओं की त्रिज्या आपस में बराबर है और प्रोटॉन द्वारा अर्जित की गई गतिज ऊर्जा $1 MeV$ है तो एल्फा कण द्वारा अर्जित ऊर्जा होगी
एक $0.12 m$ लम्बी, $0.1 m$ चौड़ी कुंडली में तार के $50$ फेरे है इसको $0.2\ \text{weber / m} ^2$ के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में ऊर्ध्वाधर लटकाया गया है। कुंडली में $2 A$ विद्नुत धारा प्रवाहित हो रही है। यदि कुंडली, चुम्बकीय क्षेत्र से $30^{\circ}$ कोण बनाती है, तो इन्हें रोके रखने के लिए आवश्यक बल आघूर्ण का मान होगा:
दो सर्वसम $($एक से$)$ लम्बे चालक तार $AOB$ तथा $\operatorname{COD}$ एक-दूसरे के ऊपर, आपस में लम्बवत् रखे गये हैं, और $O$ बिन्दु पर एक दूसरे को काटते हैं तथा इनसे $Øe' Ю$न तथा $I _2$ धारा प्रवाहित हो रही है। बिन्दु $O$ से $d$ दूरी पर, दोनों तारों के तल के लम्बवत् दिशा के अनुदिश किसी बिन्दु $P$ पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा
किसी एमीटर में मुख्य धारा का $0.2 \%$ भाग गैल्वेनोमीटर कुंडली से गुजरता है। यदि गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध $G$ है, तो इस एमीटर का प्रतिरोध होगा
जब किसी कमरे में एक प्रोटॉन को विराम अवस्था से मुक्त किया जाता है तो, यह प्रारंभिक त्वरण $a _0$ से पश्चिम दिशा की ओर गति करता है। यदि इसे $v _0$ वेग से उत्तर दिशा की आरे प्रेक्षित किया जाता है तो यह प्रारंभिक त्वरण $3 a _0$ से पश्चिम दिशा की ओर चलता है तो, इस कमरे में विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र हैं:
किसी प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा $1 MeV$ है। यह किसी एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में $R$ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ में गति कर रहा है तो, किसी $\alpha$-कण की ऊर्जा कितनी होनी चाहिये ताकि वह उसी क्षेत्र में उसी त्रिज्या के पथ में गति कर सके?
दो एक-जैसी कुंडलीयों की त्रिज्या $R$ है। इनको संकेन्द्रीय इस प्रकार रखा गया है कि उनके समतल, एक दूसरे के लम्बवत् हैं। उनसे प्रवाहित विद्युत धारायें क्रमशः I तथा $2 I$ हैं तो, केन्द्र पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र प्रेरण होगा:
एक साइक्लोट्रान का उपयोग प्रोट्रोनों $($द्रव्यमान $=m )$ को त्वरित करने के लिये किया जा रहा है। इसके डीज $($त्रिज्या $R )$ पर $v$ आवृत्ति का एक प्रत्यावर्ती विद्युत क्षेत्र लगाया जाता है तो, साइक्लोट्रॉन में प्रयुक्त प्रचालन चुम्बकीय क्षेत्र $(B)$ तथा उत्पन्न प्रोटॉन किरणपुंज की गतिज ऊर्जा $(K)$ होगी :
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