पीतल तथा स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक $\alpha_1$ तथा $\alpha_2$ है । पीतल की छड़ की लम्बाई $\ell_1$ तथा स्टील की $\ell_2$ $0^{\circ} C$ तापमान पर है । यदि इनकी लम्बाइयों में अन्तर सभी तापमान पर $\ell_2-\ell_1$, हो तो:
एक बीकर में गर्म पानी भरा गया है। इसे किसी कमरे में रखा जाता है। यदि इसका ताप $80^{\circ} C$ से $75^{\circ} C t _1$ मिनट में, $75^{\circ} C$ से $70^{\circ} C t _2$ मिनट में होता हो तथा $70^{\circ} C$ से $65^{\circ} C$ तक $t _3$ मिनट में होता है तो:
एक पिण्ड $50.0^{\circ} C$ से $49.9^{\circ} C$ तक ठण्डा होने में 5 सेकंड लेता है तो यह $40.0^{\circ} C$ से $39.9^{\circ} C$ तक ठण्डा होने में कितना समय लेगा । बाहर का तापमान $30.0^{\circ} C$ तथा यहाँ न्यूटन का शीतलन सिद्धान्त कार्यरत् है।
एक सेन्टीग्रेड तथा फैरेनहाइट थर्मामीटर को उबलते पानी में रखा गया । फैरेनहाइट थर्मामीटर में पानी का ताप $140^{\circ}$ तक घटाया गया तो सेन्टीग्रेड स्केल में तापमान है:
$10$ ग्राम बर्फ $0^{\circ} C$ पर एक बर्तन $($जल तुल्यांक $55$ ग्राम$)$ में डाल दी गयी जिसका ताप $40^{\circ} C$ है। माना कि बाहर से कोई ऊष्मा अन्दर नहीं गयी तो बर्तन में पानी का तापमान होगा $( L =80$ कैलोरी/ग्राम $)$ :
किसी गैस को समतापीय रूप से उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है। इसी गैस को पृथक रूप से रुद्धोप्म प्रक्रिया द्वारा उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है तब :
कोई रेफ्रिजरेटर $4^{\circ} C$ और $30^{\circ} C$ के बीच कार्य करता है। प्रशीतन किए जाने वाले स्थान का ताप नियत रखने के लिए $600$ कैलोरी ऊप्मा का प्रति सेकण्ड बाहर निकालना आवश्यक होता है। इसके लिए आवश्यक शक्ति चाहिए :
किसी प्रशांतक $($रेफ्रिजरेटर$)$ का निप्पादन गुणांक $5$ है। यदि फ्रीजर का भीतरी ताप $-20^{\circ} C$ है, तो प्रशीतक के बाहर चारो ओर जहाँ यह ताप बाहर फेंकता है का तापमान होगा :
किसी एक परमाण्विक गैस का दाब $p$ और आयतन $V$ है। इसमें पहले समतापीय रूप से $2 V$ आयतन तक और फिर रूद्धोष्म रूप से $16 V$ आयतन तक प्रसार होता है। यदि $\gamma=\frac{5}{3}$ हो तो, गैस का अन्तिम दाब होगा
एक गैस को चित्र $($आरेख$)$ में दर्शाये गये अनुसार $A \rightarrow B \rightarrow C \rightarrow A$, चक्र से गुजारा जाता है। तो, गैस द्वारा किया गया नेट कार्य है:
एक मोल आदर्श गैस, प्रारंभिक अवस्था $A$ से अन्तिम अवस्था $B$ को निम्नलिखित दो प्रक्रमों से होकर जाती है। पहले इसके आयतन का $V$ से $3 V$ तक समतापीय रूप से प्रसार होता है। फिर, स्थिर दाब पर इसका आयतन $3 V$ से $V$ तक कम किया जाता है तो, इन दो प्रकमों को निरूपित करने के लिए सही $P-V$ आरेख है:
एक द्विपरमाणुक गैस $(\gamma=1.4)$ के किसी द्रव्यमान का दाब 2 वायुमंडलीय दाब के बराबर है। इसको रूद्धोष्म अवस्था में इतना संपीडित किया जाता है कि उसका ताप $27^{\circ} C$ से $927^{\circ} C$ हो जाता है। अंतिम अवस्था में गैस का दाब है :
जब $0^{\circ} C$ की $1 kg$ बर्फ $0^{\circ} C$ के जल में परिवर्तित होती है तो इसकी एन्ट्रापी में परिणामी परिवर्तन होगा (यदि बर्फ की गुप्त ऊष्मा $80 cal /{ }^{\circ} C$ हो ):
किसी एक परमाणुक गैस का दाब $P_1$ और आयतन $V_1$ है। इसको रूद्धोष्म रूप से प्रारंभिक आयतन के $1 / 8$ तक संपीडित किया जाता है, गैस का अंतिम दाब कितना होगा
यदि किसी ताप गतिक प्रक्रम में, निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि $\Delta U$ और उसके द्वारा किया गया कार्य $\Delta W$ हो तो, निम्नलिखित में से कौन सा सत्य (सही) है?
एक इंजन $1 / 6$ की दक्षता रखता है। जब इसके गर्त के तापमान को $62^{\circ} C$ से कम कर दिया जाता है, तो इसकी दक्षता दोगुनी हो जाती है। स्त्रोत का तापमान होगा $-$
एक कार्नो इंजन के गर्त $($सिंक$)$ का ताप $300 K$ है और इसकी दक्षता $40 \%$ है। स्रोत ताप को कितना बढ़ाया जाए कि इंजन की दक्षता इसकी पहली दक्षता से $50 \%$ अधिक हो जाए?
एक आदर्श गैस के लिए स्थिर दाब अवस्था में मोलर विशिष्ट ऊष्मा का मान $(7/2) \ R$ है। इसके लिए स्थिर दाब और स्थिर आयतन अवस्थाओं में विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात होगा
एक आदर्श गैस ऊष्मा इंजन कार्नो चक्र में $227^{\circ} C$ तथा $127^{\circ} C$ के बीच कार्यरत है। यह उच्च ताप पर $6 \times 10^4$ कैलोरी ऊष्मा अवशोषित करता है। कार्य में परिवर्तित ऊष्मा का मान है
प्रारम्भिक ताप $TK$ पर आदर्श गैस का एक मोल रुद्धोष्मीय रूप से $6 R$ जूल कार्य करता है। यदि नियत दाब तथा आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात $5 / 3$ है, तो गैस का अन्तिम ताप होगा :
एक आदर्श गैस ऊष्मीय इंजन $227^{\circ} C$ व $127^{\circ} C$ कार्नो चक्र में कार्य करता है। यह उच्च ताप पर $6$ किलो कैलोरी ऊष्मा का अवशोषण करता है। ऊष्मा की कितनी मात्रा $($किलो कैलोरी में$)$ कार्य में परिवर्तित होती है
एक उत्क्रमणीय इंजन ली गयी ऊष्मा का $1 / 6$ कार्य में बदलता है । यदि सिंक का तापतान $60^{\circ} C$ कम कर दिया जाए तो दक्षता दोगुनी हो जाती है । तो स्रोत्र तथा सिंक का तापमान होगा :
एक आदर्श गैस को $27^{\circ} C$ से रुद्धोष्म प्रक्रम में दबाया गया तो उसका आयतन प्रारंभिक आयतन का $8 / 27$ हो गया । इसके तापमान में वृद्धि होगी $( r =5 / 3)$
नियत दाब तथा नियत आयतन पर विश्ष्ट ऊष्मा का अनुपात $r$ है। यदि गैस का आयतन स्थिर दाब $P$ पर $V$ से $2 V$ कर दिया जाए तो गैस की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होगी :
एक ऊष्मागतिकी प्रक्रम (चित्र देखें) में गैस को $A$ से $B$ तक $ACB$ द्वारा फिर वापिस $A$ तक $BDA$ द्वारा लाया गया है। पूरे प्रक्रम में किया गया कार्य किस क्षेत्रफल के बराबर होगा?
चित्र में उष्मागतिकी प्रक्रम दिखाया गया है । कुछ बिन्दुओं पर दाब व आयतन निम्न प्रकार है $P _{ A }=3 \times 10^4 Pa , V _{ A }$ $=2 \times 10^{-3}$, मी $^3 P _{ B }=8 \times 10^4 Pa , V _{ B }=5 \times 10^{-3}$ मी $^3$. प्रक्रम $AB$ में $600 J$ ऊष्मा दी गयी तथा $BC$ में $200 J$ ऊष्मा दी गयी। $AC$ प्रक्रम में आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन होगा:
ताप $27^{\circ} C$ और दाब $1.0 \times 10^5 Nm ^{-2}$ पर किसी दिए गए द्रव्यमान की गैस के अणुओं का वर्ग माध्य मूल (\text{r.m.s}) वेग $200 \ ms ^{-1}$ है। जब इस गैस के ताप और दाब क्रमशः $127^{\circ} C$ और $0.05 \times 10^5 \ Nm ^{-2}$ है, तो $ms ^{-1}$ में इस गैस के अणुओं का वर्ग माध्य मूल वेग है :
एक समान तापमान पर दो पात्रों में से एक में आदर्श गैस $A$ तथा दूसरे में आदर्श गैस $B$ भरी है। गैस $A$ का दाब गैस $B$ के दाब का दो गुना है। इन दशाओं के अन्तर्गत गैस $A$ का घनत्व गैस $B$ के घनत्व से $1.5$ गुना पाया जाता है, तो $A$ तथा $B$ के अणुभारों का अनुपात होगा:
सामान्य ताप तथा दाब पर किसी गैस के $4.0 g$ द्रव्यमान का आयतन $22.4$ लिटर है। स्थिर आयतन पर इसकी विशिप्ट ऊप्मा धारिता $5.0 JK ^{-1} \text{mol} ^{-1}$ है। यदि इस गैस में सामान्य ताप व दाब पर ध्वनि का वेग $952 \ ms ^{-1}$ है तो इस गैस की रिथर दाब विशिप्ट ऊप्मा धारिता है (गैस नियतांक $R =8.3 JK ^{-1} \text{mol} ^{-1} )$
$30^{\circ}$ वायुमंडलीय दाब तथा $27^{\circ} C$ पर एक गैस को $1$ वायुमंडलीय दाब तक प्रसारित किया गया । यदि आयतन प्रारम्भिक आयतन का $10$ गुना हो तो अन्तिम ताप होगा।
नियत दाब पर एक एक परमाण्विक आइडियल गैस के एक मोल का ताप $10 K$ बढ़ाने के लिए $207 J$ ऊष्मा की आवश्यकता है। इसी गैस के नियत आयतन पर $10 K$ तापमान वृद्वि के लिए आवश्यक ऊष्मा है $( R = 8.3$ जूल/मोल $K )$
तीन बर्तनों में तीन अलग-अलग गैसें समान आयतन की भर दी गयी। अणुओं का द्रव्यमान क्रमशः $m _1, m _2, m _3$. तथा अणुओं की संख्या $N _1, N _2, N _3$ है। बर्तनों में गैसों का दाब क्रमश: $P _1, P _2, P _3$ है। तीनों गैसों को मिलाकर एक बर्तन में डाल दिया गया तो गैसों का दाब $P$ होगा:
दो बर्तनों $A$ तथा $B$ में थोड़ा पानी भरकर बंद कर दिया गया । $A$ का आयतन $B$ से दोगुना है तथा $A$ में पानी का आयतन $B$ से आधा है । यदि दोनों का तापमान समान हो तो दोनों में वाष्प के दाब का अनुपात होगा:
किसी पिण्ड $($वस्तु$)$ के चिकेने क्षैतिज पृष्ठ $($सतह$)$ पर दोलनों के समीकरण को $X=A \cos (\omega t)$ द्वारा निरूपित किया जाता है, जहां $X=t$ समय पर विस्थापन $\omega=$ दोलनों की आवृत्ति तो, $t$ के साथ $a$ के विचलन $($परिवर्तन$)$ को कौन $-$ सा ग्राफ $($आलेख$)$ सही रूप में दर्शाता है ?
किसी सरल आर्वत तरंग का समीकरण $ y=3 \sin \frac{\pi}{2}(50 t-x) $ जहाँ $x$ तथा $y$ मीटर में और $t$ सेकंड में है तो, अधिकतम कण $-$ वेग तथा तरंग वेग का अनुपात होगा :
दो कण, एक दूसरे के निकट स्थित, दो समान्तर सरल रेखाओं के अनुदिश, समान आवृति और आयाम से दोलन कर रहे हैं। जब उनका विस्थापन उनके आयाम का आधा $(1 / 2)$ होता है तो वे एक दूसरे से विपरीत दिशा में गति कर रहे होते हैं। दोनों कणों की माध्य स्थिति, उनके मार्गों की लम्बवत् एक सरल रेखा पर स्थित है। तो कलान्तर है :
किसी कण को प्रदर्शित करने वाले निम्नलिखित फलनों में कौन से फलन सरल आवर्त गति को निरूपित करते है?
(A) $y=\sin \omega t-\cos \omega t$
(B) $y=\sin ^3 \omega t$
(C) $y=5 \cos \left(\frac{3 \pi}{4}-3 \omega t\right)$
(D) $y =1+\omega t +\omega^2 t ^2$
दो तरंगों को क्रमशः $y _1= a \sin (\omega t + kx +0.57) m$ तथा $y _2= a \cos (\omega t + kx ) m,$ से निरूपित किया जाता है, जहाँ $x$ मीटर में और $t$ सैकण्ड में है, तो दोनों तरंगों के बीच कलान्तर है:
एक कण का द्रव्यमान $m$ है। इसे विराम अवस्था से मोचित किया गया है और यह आरेख मे दिखाये गये अनुसार एक परवलीय मार्ग पर चलता है। यह मानते हुए कि कण का मूल स्थिति से विस्थापन कम है, कौन से ग्राफ कण की स्थिति को समय के फलन के रूप में सही दर्शाता है?
किसी नगण्य द्रव्यमान के स्प्रिंग से लटकाये गये $M$ द्रव्यमान का दोलनकाल $T$ है। यदि इसके साथ ही एक अन्य $M$ द्रव्यमान लटका दिया जाय तो दोलनकाल हो जायेगा
एक बिन्दु सरल आवर्त दोलन करता है जिसका आवर्तकाल $T$ और चलन का समीकरण $x = a \sin (\omega t +\pi / 6)$ है। आवर्तकाल के किस अंश के पश्चात् बिन्दु का वेग उसके अधिकतम वेग का आधा होगा ?
एक कण आयाम $a$ के साथ सरल आवर्ती दोलन करता है। इसका दोलनकाल $T$ है। इस कण को अपनी साम्य अवस्था से आयाम की आधी दूरी चलने में लगने वाला कम से कम समय होगा $-$
एक ऊर्ध्व दिशा की कमानी को धरातल पर चित्र के अनुसार स्थायी किया गया है तथा इसके ऊपरी सिरे के पलड़े पर $2.0$ किग्रा द्रव्यमान की वस्तु रखी है। कमानी और पलड़े के भार नगण्य हैं। थोड़ा दबाकर छोड़ देने पर द्रव्यमान सरल आवर्ती गति करता है। कमानी का बल नियतांक 200 न्यूटन/मी है। आवर्त गति का न्यूनतम आयाम कितना होना चाहिए, जिससे ऊपर रखी वस्तु पलड़े से अलग हो जाये?( मान लो $g =10$ मी $/$ से $^2$ )
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