सामान्य नेत्त्र में कौर्निया $($स्वच्छ मंडल$)$ की अभिसारी शक्ति $40 D$ है तथा कार्निया के पीछे नेत्र लेंस की न्यूनतम अभिसारी शक्ति $20 D$ है। इस सूचना से नेत्र के रेटिना $($दृष्टिपटल$)$ तथा लेन्स के बीच की अनुमानित दूरी होगी:
एक समतल उत्तल और एक समतल अवतल लेंस एक दूसरे के ऊपर पूर्णतः ठीक बैठ जाते हैं। उनके समतल पृष्ठ आपस में समान्तर हैं। यदि इन लेंसों के पदार्थां के अपवर्तनांक $\mu_1$ और $\mu_2$ हैं तथा दोनों के वक्र पृष्ठों $($ तलों $)$ की वक्रता त्रिज्या $R$ है तो इनके संयोजन की फोकस दूरी होगी :
$10 cm$ लम्बी एक छड़ को, $10 cm$ फोकस दूरी के एक अवतल लेंस की मुख्य अक्ष के अनुदिश इस प्रकार रखा गया है कि छड़ का दर्पण के ध्रुव के पास वाला सिरा, दर्पण से $20 cm$ दूर है। प्रतिबिम्ब की लम्बाई होगी :
एक दूरदर्शी यंत्र का आवर्धन क्षमता $9$ है। जब इसे समान्तर किरणों के लिए समायोजित किया जाता है तब इसके अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच की दूरी $20 \ cm$ होती है। इन लेंसों की फोकस दूरियाँ क्रमश होगी:
जब $1.47$ अपवर्तनांक के कॉंच के किसी उभयोत्तल लैंस को किसी द्रव में डुबाया जाता है तो, यह एक समतल शीट $($ परत $)$ की भॉंति व्यवहार करता है। इसका तात्पर्य यह है कि द्रव का अपवर्तनांक हैः
प्रकाश की एक किरण, किसी प्रिज्म जिसका कोण $A$ है के एक फलक पर $i$ कोण पर आपत्तित होती है तथा उसके विपरीत फलक से उसके लम्बवत् निर्गत होती है। यदि प्रिज्म का अपवर्तनांक $\mu$ है तो, आपतन कोण $i$ का मान लगभग बराबर है :
' $f_1$ ' फोकस दूरी का एक अवतल दर्पण, ' $f_2$ ' फोकस दूरी के एक उत्तल लेंस से $d$ दूरी पर रखा गया है। अनन्त से आता हुआ एक किरण पुंज, उत्तल लेंस तथा अवतल दर्पण के इस संयोजन पर टकराता है और अपने मार्ग पर अनन्त को वापस हो जाता है तो, दूरी ' $d$ ' का मान होगा :
काँच के किसी पतले प्रिज्म का कोण $15^{\circ}$ है और उसका अपवर्तनांक $\mu_1=1.5$ है। इसका $\mu_2=1.75$ अपवर्तनांक के किसी अन्य प्रिज्म से संयुक्त किया गया है। इनसे बने प्रिज्मों के संयोजन से विचलन बिना परिक्षेपण प्राप्त होता है। तो दूसरे प्रिज्म का कोण होना चाहिये:
प्रकाश का एक अभिसारी किरण पुंज किसी अपसारी लेंस पर आपतित होता है। लेंस से गुजरने के पश्चात, प्रकाश की किरणें लेंस के दूसरी ओर, उससे $15 \ cm$ दूरी पर, एक दूसरे का प्रतिच्छेदन करती है $($ काटती $)$ है। यदि लेंस को हटा दिया जाये तो किरणों का प्रतिच्छेदन बिन्दु, लेंस से $5 \ cm$ और पास (समीप) हो जाता है। तो, लेंस की फोकस दूरी है:
दो माध्यमों $M_1$ और $M_2$ में प्रकाश की चाल क्रमशः $1.5 \times 10^8 m / s$ और $2.0 \times 10^8 m / s$ है। प्रकाश की एक किरण माध्यम $M_1$ से $M_2$ में $i$ आपतन कोण पर प्रवेश करती है। यदि इस किरण का पूर्ण आतंरिक परावर्तन हो जाता है तो, ' $i$ ' का मान है
$60^{\circ}$ के किसी प्रिज्म पर प्रकाश की एक किरण अल्पतम् विचलन की स्थिति पर आपतित होती है। पहले पाश्र्व (फलक) पर (अर्थात् आपतन पाश्र्व पर) अपवर्तन कोण है
$f$ फोकस दूरी और $d$ व्यास के द्वारक वाला एक लैंस, तीव्रता $I$ का एक प्रतिबिम्ब बनता है। लेंस के केन्द्रीय भाग में $\frac{d}{2}$ व्यास के द्वारक को काले कागज से ढक दिया जाता है। लेंस की फोकस दूरी तथा प्रतिबिम्ब की तीव्रता अब क्रमशः होगी
अपवर्तनांक $\mu$ के एक पारदर्शी माध्यम से चलती हुई प्रकाश की एक किरण, इस माध्यम और वायु को पृथक करने वाली सतह पर $45^{\circ}$ के कोण पर टकराती है। अपवर्तनांक $\mu$ के किस मान के लिए इस किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जायेगा?
कोई लड़का कागज़ पर एक समउत्तल लैंस द्वारा सूर्य किरणों को फोकस कर आग जलाना चाहता है। लैंस की फोकस दूरी $10 cm$ है। सूर्य का व्यास $1.39 \times 10^9 m$ है और इसकी पृथ्वी से मध्यमान दूरी $1.5 \times 10^{11} m$ है। सूर्य के कागज़ पर प्रतिबिम्ब का व्यास होगा:
किसी द्रव से भरे एक बीकर के तल पर एक लघु सिक्का रखा गया है। चित्र के अनुसार एक प्रकाश किरण सिक्के से आरम्भ होकर द्रव के ऊपरी तल तक पहुँच कर तल के समांतर चलती है।
इस द्रव में प्रकाश चलन का वेग कितना होगा?
एक सूक्ष्मदर्शी को कागज पर बने एक निशान पर फोकस करने के उपरान्त इस निशान पर $1.5$ अपवर्तनांक के काँच के 3 सेमी मोटे स्लैब को रखा गया है। अब सूक्ष्मदर्शी में क्या स्थानान्तरण किया जाए कि निशान फिर से फोकस में आ जाए ?
लाल तथा हरी किरणों से बना हुआ एक प्रकाश पुँज आयताकार काँच की पट्टिका के पृष्ठ पर स्थित एक बिन्दु पर त्रिर्यक रूप से आपतित होता है। जब प्रकाश पुँज विपरीत समान्तर पृष्ठ पर आता है, तो लाल तथा हरी किरणें:
प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा इसका अपवर्तन कोण $30^{\circ}$ है। प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठों में से किसी एक पृष्ठ को अन्दर की ओर दर्पणनुमा बनाया जाता है। दूसरे पृष्ठ पर आपतित एकवर्णी प्रकाश पुँज दर्पण से परावर्तित होकर अपने ही मार्ग से वापिस लौट आएगा यदि प्रिज्म पर आपतन कोण है:
एक दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेन्स का व्यास 10 सेमी है तथा यह दो वस्तुओं से 1 किमी दूरी पर स्थित है। दूरदर्शी द्वारा विभेदित दोनों वस्तुओं के बीच की न्यूनतम दूरी, जब प्रकाश की माध्य तरंगदैर्ध्य $5000 A$ है, होगी:
एक द्विउत्तल लैंस को दो भगों में काटा गया है (i) $XOX ^{\prime}$ के अनुदिश (ii) $YOY ^{\prime}$ के अनुदिश, यदि $f , f ^{\prime}$, f" तीनों स्थितियों में लैंस की फोकस दूरियां हैं तो निम्न में से कौन-सा सम्बन्ध सही है:
एक पतले समतलोत्तल लैंस की वक्रता त्रिज्या 10 सेमी तथा अपवर्तनांक $1.5$ है। यदि समतल पृष्ठ को पोलिश कर दिया जाए तो यह अवतल दर्पण का काम करेगा। इसकी फोकस दूरी है:
एक पारदर्शी छड़ का अपवर्तनांक $n$ है। इसमें प्रकाश अन्दर जाता है। अपवर्तनांक का मान क्या होगा यदि प्रकाश दूसरे सिरे से बाहर न निकले चाहे आपतन कोण का मान कुछ भी क्यों न हो?
एक प्रकाशदीप्त वस्तु उत्तल लेंस से $f =20$ सेमी दूरी पर रखी है। लेंस के दूसरी तरफ एक 10 सेमी वक्रता त्रिज्या का उत्तल दर्पण रखा है। बताओ इसकी दूरी लेंस से क्या होगी कि प्रतिबिम्ब वस्तु की जगह पर हीं बने
एक विद्युत चुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति, $n$ तथा तरंग दैर्ध्य $\lambda$ है । यह हवा में $v$ वेग से चलता हुआ $\mu$ अपवर्तनांक वाले काँच में जाता है। कांच में इसकी आवृत्ति, तरंगदैधर्य तथा वेग ज्ञात करो
एक काँच के ब्लॉक के एक पृष्ठ को पौलिश किया गया है। इसकी मोटाई $6$ सेमी है। एक वस्तु पहले पृष्ठ से $8$ सेमी दूर रखी गयी है, पॉलिश पृष्ठ के $12$ सेमी पीछे इसका प्रतिबिम्ब बनता है । कांच का अपवर्तनांक होगा:
एक लेंस, प्रकाश स्रोत्र तथा दीवार के बीच रखा है। यह लेंस के दो भिन्न स्थितियों दीवार पर $A _1$ तथा $A _2$ क्षेत्रफल के दो प्रतिबिम्ब बनाता है। प्रकाश स्रोत्र का क्षेत्रफल होगा
एक प्रिज्म का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा आपतन कोण $30^{\circ}$ है। एक समतल को पोलिश कर दिया गया। एक वर्णी प्रकाश तरंग अपने पथ को वापस पार करती है यदि आपतन कोण का मान होगा :
हरें रंग का प्रकाश $(\lambda=5460 A)$ का हवा-कांच के समतल पर पड़ता है। कांच का अपवर्तनांक $1.5$ है प्रकाश की कांच में तरंग दैर्ध्य होगी ( $c=3 \times 10^8$ मी/सेकंड)
एक प्रिज्म जिसका कोण $A$ है, के एक समतल पर एक किरण आपतन कोण बनाते हुए आती है तथा वह दूसरे समतल के लम्बवत बाहर निकलती है। यदि प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $\mu$ हो तो आपतन कोण $i$ का मान लगभग होगा:
यंग के किसी द्वि द्रिरी प्रयोग में उच्चिप्ठ की तीव्रता $I _0$ है। दोनों द्भिरियों के बीच की दूरी $d =5 \lambda$ है, यहाँ $\lambda$ प्रयोग में उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्घ्य है। किसी एक झिरिी के सामने दूरी $D =10 d$ पर स्थित पर्द पर तीव्रता क्या होगी?
जब चौड़ार्ई ' $a$ ' की किसी एकल डिरी पर $5000 A$ तरंगदैर्घ्य का प्रकाश आपतन करता है, तो झिरी के कारण उत्पत्र विवर्तन पैटर्न में $30^{\circ}$ के कोण पर पहला निम्निप्ठ दिखाई देता है। पहला द्वितीयक उच्चिप्ठ जिस कोण पर दिखार्ई देगा, वह है:
एकला डिरी विवर्तन पैटर्न में, केन्द्रीय उच्चिप्ट के निकटवर्ती प्रथम निम्निप्ट पर, डििरी के किनारे तथा उसके मघ्य$-$बिन्दु से उत्पन्न हाइगेन्स-तरंगिकाओं के बीच कलान्तर होता है:
यंग के किसी द्विडिरी प्रयोग में, दो झिरियों की चौड़ाइयों में अनुपात $1: 25$ है, तो व्यतिकरण पैटर्न में उच्चिप्ट तथा निम्नप्ठ की तीव्रताओं का अनुपात, $\frac{I_{\max }}{I_{\min }}$ होगा:
दूर स्थित किसी स्रोत से आता हुआ, $\lambda=600$ नैनोमीटर का प्रकाश पुंज, $1$ मिमी चौड़ी झिरी पर आपतित होता है। इससे उत्पन्न विवर्तन पैटर्न को झिरी से $2$ मी दूर स्थित पर्दे पर देखा जाता है तो, केन्द्रीय दीप्त फ्रिन्ज के दोनों ओर की प्रथम अदीप्त फ्रिन्जों के बीच की दूरी होगी
यंग के द्वि$-$झिरी प्रयोग में, पर्द् के किसी बिन्दु पर $\lambda$ पथान्तर होने से, वहां प्रकाश की तीव्रता $K$ है, $( \lambda$ प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है$)$। पर्द के उस बिन्दु पर जहां पथान्तर $\lambda / 4$ है, तीव्रता होगी
द्रुत वेग से चलती हुई इलेक्ट्रॉनों की एक समान्तर किरणपुंज, किसी पतली झिरी पर लम्बवत् आपतित है। इस झिरी से पर्याप्त दूरी पर एक प्रतिदीप्त पर्दा रखा है। यदि, इलेक्ट्रॉनों की चाल को बढ़ा दिया जाए तो, निम्नांकित में से कौन-सा कथन सत्य होगा ?
यंग वु एक द्विझिरी प्रयोग में झिरियों $($स्लिटों$)$ के बीच की दूरी $2\ mm$ है। इनको $\lambda_1=12000 A$ तथा $\lambda_1=$ $10000 A$ तरंगदैर्ध्य के फोटॉनों से प्रदीप्त $($प्रकाशित$)$ किया गया है। यदि झिरियों से पर्दे की दूरी $2 m$ हो तो, केन्द्रीय दीप्त फ्रिंज के कितनी न्यूनतम दूरी पर, व्यतिकरण के उत्पन्न दोनों तरंगों की दीप्त फ्रिंजें संपाती $($एक दूसरे के ऊपर$)$ होगी?
एक कागज जिस पर दो निशान $d$ दूरी पर बने हैं एक व्यक्ति की दृष्टि की आँख के लेन्स का व्यास $2$ मिमी है। $d$ के किस न्यूनतम मान के लिए ये दोनों निशान अलग अलग दिखायी देगें? दृश्य प्रकाश की माध्य तरंग दैर्ध्य $5000 A$ है।
$5000 A$ वाले समान्तर एकवर्णी प्रकाश $0.001$ मीटर मोटाई की स्लिट पर लम्बवत डाला जाता है । प्रकाश को एक उत्तल लेंस के द्वारा एक स्क्रीन पर एकत्र किया जाता है। पहली निम्नतम के लिए विवर्तन कोण का मान होगाः
यंग का प्रयोग $\lambda=5000 A$ वाले प्रकाश के लिए किया जाता है। दो स्लियों के बीच की दूरी $0.2$ मिमी तथा स्क्रीन की दूरी $200$ सेमी है । केन्द्र से तीसरे उच्चतम की दूरी होगी.
यंग के प्रयोग में दो कोहैरेन्ट स्रोत्र $0.90$ मिमी की दूरी पर रखे हैं । यदि ये दूसरी डार्क फ्रिंज 1 मीटर पर बनाते हों तो एकवर्णी प्रकाश की तरंग दैर्ध्य होगी :
जब किसी धात्विक पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $\lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाता है, तो निरोधी विभव $V$ है। यदि इसी पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $2 \lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाए, तो निरोधी विभव $\frac{ V }{4}$ हो जाता है। इस धात्विक पृप्ट की देइली तरंगदैर्ध्य है :
द्रव्यमान $m$ के इलेक्ट्रॉन तथा किसी फोटॉन की ऊर्जाएं $E$ एकसमान हैं। इनसे संबद्न दे$-$ब्बाग्ती तरंगदैर्घ्यों का अनुपात है :
$($यहाँ $c$ प्रकाश का वेग है।$)$
किसी प्रकाशवैन्युत पृप्ठ को क्रमश: $\lambda$ तथा $\frac{\lambda}{2}$ तरंगदैर्ध्य के एकवर्णी प्रकाश से प्रदीप्त किया जाता है। यदि उत्सर्जित प्रकाश विद्युत इललोक्ट्रॉनो की अधिकतम गतिज ऊर्जा का मान, दूसरी दशा में पहली दशा से $3$ गुना है, तो इस पृष्ट के पदार्थ का कार्य फलन है:
$( h =$ प्लांक स्थिरांक$, c =$ प्रकाश का वेग$)$
धातु के किसी पृष्ठ पर आपतित विकिरणों की ऊर्जा को $20 \%$ बढ़ाने पर, उससे उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉनों $($प्रकाश विद्युत इलेक्ट्रॉनों$)$ की गतिज उर्जा $0.5\ eV$ से बढ़कर $0.8\ eV$ हो जाती है। इस धातु का कार्य फलन है
किसी धातु से प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी (अंतक) आवृत्ति $v$ है। यदि इस धातु पर $2 v$ आवृत्ति के विकिरण आपतित हों तो, उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम संभावित वेग होगा: ( $m$ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।)
किसी इलेक्ट्रॉन के संवेग को $P$ से परिवर्तन करने पर उससे संबद्व दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य $0.5 \%$ परिवर्तित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन का प्रारंभिक संवेग होगा :
क्रमशः $1 eV$ तथा $2.5 eV$ ऊर्जा के फोटॉन विकिरण एक के बाद एक किसी प्रकाश सुग्राही (संवेदी) पृष्ठ को प्रदीप्त करते हैं। इस पृष्ठ का कार्य फलन $0.5 eV$ है। इन दोनों में उत्सार्जित इलेक्ट्रॉनो की अधिकतम चालों का अनुपात होगा :
$0.25\ Wb / m ^2$ तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में एक $\alpha-$कण $0.83 \ cm$ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ में गति करता है तो, इस कण से सम्बद्ध दे $-$ ब्रॉग्ली तरंगदैध्ध्य होगी :
$200 W$ का एक सोडियम बल्ब $0.6 \ \mu m$ तरंगदैर्ध्य का पीला प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह मानते हुए कि विद्युत ऊर्जा को प्रकाश में परिवर्तन करने में बल्ब की दक्षता $25 \%$ है, प्रति सेकण्ड उत्सर्जित पीले रंग के प्रकाश के फोटॉनों की संख्या होगी:
एक इलेक्ट्रान, हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था से उसकी निम्नतम अवस्था में संक्रमण करता है। इससे उत्सर्जित एकवर्णी विकिरण किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ को किरणित करता है। इसका निरोधी विभव $3.57 V$ मापा गया है। इस पदार्थ की देहली आवृत्ति है :
किसी हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित अवस्था $n$ से न्यूनतम ऊर्जा स्थिति में संक्रमण करता है (कूदता) है। इससे विकिरित तरंगदैर्ध्य का प्रकाश एक ऐसे प्रकाशसंवेदी पदार्थ को प्रदीप्त करता है जिसका कार्यफलन $2.75 eV$ है। यदि प्रकाश विद्युत इलेक्ट्रॉनों का निरोधी (अंतक) विभव $10 V$ है तो $n$ का मान होगा:
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